तपते सूरज का ‘सायनाइड’ प्लान, 80 साल में जानलेवा हो जाएगी दुनिया

नई दिल्ली: 80 साल के अंदर दुनिया जानलेवा हो जाएगी. ये कहकर हम किसी को डरा नहीं रहे है लेकिन इसके कहने के पीछे जो गंभीर हालात हमारे सामने है उससे हम हर किसी को सचेत करने जा रहे है. दरअसल अमेरिका में हाल ही में हुई एक घटना ने हर किसी की चिंता को बढा दिया है.
बढते हुए तापमान की वजह से अमेरिका जैसे देश को 40 विमानों की उडानों को रद्द करनी पड़ें तो ये पूरी दुनिया के लिए बड़े खतरे की घंटी भी है. अमेरिका के एरीजोना प्रांत के फीनिक्स में गर्मी की वजह से तकरीबन 40 फ्लाइट को रद्द कर दिया गया. फ्लाइट का रद्द होना आम बात है लेकिन गर्मी की वजह से फ्लाइट का रद्द होना. ये दुनिया में शायद पहली बार हुआ है.
दरअसल फीनिक्स में फ्लाइट को रद्द करने के पीछे वहा के तापमान के 48 डिग्री पार हो जाने को बताया जा रहा है. कुछ विमानों के लिए उड़ान भरने के लिए 48 डिग्री का तापमान जरूरी तापमान से ज्यादा बताया जा रहा है. जिसकी वजह से 40 उड़ाने रद्द करनी पड़ी.
बीते 17 सालो में अमेरिका के एरिजोना प्रांत के फीनिक्स शहर में तापमान सबसे ज्यादा था. तब 26 जून 1990 को यहा का तापमान 50 डिग्री रिकार्ड किया गया था. इस बढे हुए तापमान में फ्लाइट को रद्द करने के पीछे जो खतरा बताया जाता है.
कम क्षमता वाले प्लेन 48 डिग्री सेल्सियस तापमान तक सही काम करते है लेकिन तापमान में थोड़ी भी बढोतरी से प्लेन हवा में असंतुलित हो जाते हैं. क्योकि तापमान ज्यादा हो जाने से आसमान में हवा का घनत्व कम हो जाता है और प्लेन को उड़ान भरने के लिए जरुरी हवा नहीं मिल पाती. प्लेन के असंतुलित होकर गिरने का खतरा बढ जाता है.
जो बड़े विमान होते है जैसे बोइंग 747 और एयरबस इनके साथ विकल्प है. ये विमान आसमान में जब 53 डिग्री तापमान होता है तब भी उड़ान भर सकते है. हमारे देश में इस साल कई जगहों पर 48 डिग्री तापमान रहा और कई जगह ये तापमान 50 डिग्री तक भी गया. जाहिर है आने वाले कुछ सालों में ये तापमान 53 डिग्री तक भी जाएगा और तबइन बड़े विमानों की उड़ानों को भी इस तापमान की वजह से रद्द करना होगा.
अमेरिका में उड़ाने रद्द हुई तो ब्रिटेन में सड़के और रेलवे ट्रेक पिघल गए. बढते तापमान की वजह से 40 ट्रेनों को रद्द करना पड़ा. गर्मी की वजह से ब्रिटेन में 176 सालों का रिकार्ड टूट गया. ब्रिटेन में लोगों को एहतियात बरतने के तमाम निर्देश दिए गए. स्कूल कॉलेज दफ्तर सब कुछ बंद कर दिए गए.
नेचर क्लाइमेट चेंज नाम की एक पत्रिका में एक रिसर्च छापी गई है जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण इंसानों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. ये खतरा इतना बड़ा है कि दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी अगले कुछ सालों में लू के थपेड़ो से इस कदर झुलसेगी कि धरती पर अपने आपको जिंदा रख पाना ही बड़ी चुनौती होगा.
साल 1980 से लेकर अबतक दुनिया के 1900 अलग अलग हिस्सों में बड़ी संख्या में लोग गर्मी औऱ उमस के कारण मारे गए हैं. साल 2010 में मास्को में 10800 लोगों की गर्मी की वजह से मौत हो गई. थोड़ा पीछे चले तो साल 2003 में पेरिस में करीब 4900 लोग गर्मी और उमस के कारण मारे गए. साल 1995 में शिकागों में 740 लोगो की मौत का कारण भी गर्मी ही बनी.
(वीडियो में देखें पूरा शो)
admin

Recent Posts

राम चरण ने निभाया एआर रहमान से किया वादा, कहा- दरगाह से है गहरा नाता

हाल ही में राम चरण ने एआर रहमान से किया अपना वादा निभाया है. संगीतकार…

4 minutes ago

असिस्टेंट लोको पायलट के लिए कब जारी होगा एडमिट कार्ड ?

रेलवे भर्ती बोर्ड ने 28 नवंबर को होने वाली असिस्टेंट लोको पायलट भर्ती परीक्षा के…

4 minutes ago

दिल्ली की जहरीली हवा में सांस लेना 50 सिगरेट फूंकने के बराबर, घर से निकलते समय इन बातों का रखें खास ख्याल

नई दिल्ली:बढ़ती गंभीर वायु गुणवत्ता का मतलब यह भी है कि यह एक व्यक्ति के…

11 minutes ago

शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान OTT से करेंगे डेब्यू, फिर खड़ा होगा नेपोटिज्म का मुद्दा?

शाहरुख खान ने खुद इस बात का ऐलान किया है कि आर्यन डायरेक्शन में डेब्यू…

22 minutes ago

वर्जिन मैरी का हुआ चीर हरण, अफगान युवक ने की ऐसी दरिंदगी, श्रद्धालुओं ने बंद की आंखे

स्विट्जरलैंड के एक चर्च में घुसकर एक अफगान नागरिक ने हंगामा मचा दिया है। 17…

31 minutes ago

झारखंड चुनाव प्रचार में CM सोरेन का जलवा, तोड़ डाले सारे रिकॉर्ड, मोदी टीम काफी पीछे

रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर दूसरे चरण में कल 38 सीटों पर वोटिंग है।…

42 minutes ago