नई दिल्ली: आज की कहानी हिम्मत, हौसले और लड़ने की ताकत की मिसाल हैं. जान बचाने के लिए कैसे जान हथेली लेकर आगे बढ़ते हैं जवान और कैसे थोड़ी सी कोशिश से किसी की जान बच सकती है लेकिन हम वो भी नहीं कर पाते. सबसे पहले आज की तीन तस्वीरें आपको दिखाते हैं.
ज़िंदगी बचाने के लिए जंग की इससे बड़ी तस्वीर आपने पहले कभी नहीं देखी होगी. टैंक के पीछे अमेरिकी स्पेशल फोर्सेज के तीन जवान हैं और देखते-देखते एक जवान दौड़ गया. इधर बाकी दो जवान कवर फायरिंग करने लगे. अंधाधुंध फायरिंग.
सामने लाशों के ढेर हैं और इधर दोनों जवान लगातार फायरिंग करते जा रहे हैं. ये कवरिंग फायरिंग है . और ये देखिए तीसरा जवान जो लाशों के ढेर के बीच गया था वो वहां से एक बच्ची को मौत के मुंह में से खींच लाया. दरअसल ये तस्वीर इराक के मोसुल शहर की है.
जहां एक तरफ यूएस स्पेशल फोर्सेज के जवान हैं और दूसरी तरफ आतंकियों की गोलियां हैं. मोसुल में आतंकियों ने हमला कर सैकड़ों लोगों को मार डाला. तभी इन तीन जवानों की नज़र लाल रिबन बांधी एक छोटी सी बच्ची पर पड़ी जो लाशों के ढेर के बीच बैठी रो रही थी.
इन तीनों ने अपनी जान पर खेलकर बचाने का फैसला किया है. 56 साल के एबंक को इसकी कमान सौंपी गई. और बाकी दो साथियों ने कवरिंग फायरिंग का फैसला किया और ये दोनों जवान तब तक कवरिंग फायरिंग करते रहे जब तक बच्ची को एबंक सही सलामत मौत के मुंह में से निकालकर बाहर लेकर नहीं आ गए.