नई दिल्ली : सोमवार को भारत संयुक्त राष्ट्र के टीआईआर कन्वेंशन से जुड़ने वाला 71वां देश बन गया है. ये कनवेंशन एक अंतर्राष्ट्रीय कस्टम ट्रांजिट सिस्टम है. टीआईआर कन्वेंशन से दक्षिण एशिया एवं उसके बाहर भारत को अपने व्यापार को बढ़ाने में मदद मिलेगी.
इस कनवेंशन के तहत सदस्य देश अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर कस्टम के अंतर्गत अपने माल को बिना किसी कर के आयात और निर्यात कर सकते हैं. टीआईआर को चीन के वन बैल्ट वन रोड की काट माना जा रहा है.
आईआरयू के महासचिव उमबेर्टो डि प्रेटो ने कहा, ‘मैं देशों के टीआईआर परिवार में भारत का स्वागत करता हूं. उन्होंने बताया कि भारत के आने से क्षेत्रिय संपर्कों पर काफी असर पड़ेगा. वहीं, प्रेटो ने इस समझौते को बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल मोटर व्हीकल समझौते के लिए मददगार बताया है.
भारत की कई कनेक्टिविटी परियोजनाओं को अलग-अलग देशों की ट्रांसपोर्ट और कस्टम सिस्टम के अनुरूप नहीं होने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता था. लेकिन टीआईआर को लागू करने के बाद भारत को इन परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा. टीआईआर कनवेंशन को यातायात समझौते से बढ़कर देखा जाता है जो कि विदेशिक मामलों में मजबूती लाता है.
माना जा रहा है कि चीन के ओबीओआर का सामना करने के लिए भारत के पास यह एक मजबूत हथियार है. इससे भारत के इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपॉर्ट कॉरिडोर और चाबहार प्रोजेक्ट में भारत को मदद मिलेगी.
टीआईआर माल परिवहन के लिए मानक है जिसका प्रबंधन विश्व सड़क परिवहन संगठन आईआरयू के हाथों में है. आईआरयू ने ही टीआईआर विकसित किया है. बता दें कि इस कंवेंशन मे शामिल होने के बाद से भारत को इन देशों से माल की आवाजाही के लिए किसी दिपक्षीय समझौते की जरूरत नहीं पड़ेगी.
टीआईआर भारत को म्यांमार, थाइलैंड, बांग्लादेश, भूटान और नेपाल के साथ व्यापारिक समेकन में मदद करेगा। यह उसे ईरान में चाबहार बंदरगाह के मार्फत अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे में मालढुलाई और अफगानिस्तान एवं तेल समृद्ध यूरेशिया क्षेत्र तक माल परिवहन में भी सहायता पहुंचाएगा.