1993 ब्लास्ट मामला: जानिए पिछले 24 सालों तक कैसे चला पूरा घटनाक्रम

24 साल बाद आखिरकार आज मुंबई बम धमाकों का फैसला सुना दिया गया. 12 मार्च 1993 को अगल-अगल 12 जगहों पर हुए सिलसिलेवार बम धमाकों से मुंबर्ई को हिलाकर रख देने वाली घटना के आरोप में कोर्ट ने अबु सलेम समेत 7 लोगों को दोषी माना है जबकि एक आरोपी को कोर्ट ने बरी कर दिया है. इस घटना में 257 लोगों की जान गई थी जबकि 800 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.

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1993 ब्लास्ट मामला: जानिए पिछले 24 सालों तक कैसे चला पूरा घटनाक्रम

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  • June 16, 2017 8:34 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
मुंबई: 24 साल बाद आखिरकार आज मुंबई बम धमाकों का फैसला सुना दिया गया. 12 मार्च 1993 को अगल-अगल 12 जगहों पर हुए सिलसिलेवार बम धमाकों से मुंबर्ई को हिलाकर रख देने वाली घटना के आरोप में कोर्ट ने अबु सलेम समेत 7 लोगों को दोषी माना है जबकि एक आरोपी को कोर्ट ने बरी कर दिया है. इस घटना में 257 लोगों की जान गई थी जबकि 800 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
 
आइए आपको सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं कि बीते 24 सालों में कैसे घटा ये पूरा घटनाक्रम
 
12 मार्च 1993 को भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में एक के बाद एक 12 जगहों पर धमाके हुए जिनमें खास तौर पर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, सेंटूर होटल, झावेरी बाजार, एयर इंडिया बिल्डिंग, कत्था बाजार जैसी जगह शामिल थी और जहां सबसे ज्यादा लोगों की मौत हुई. 
 
घटना की जांच के दौरान 19 अप्रैल 1993 को अभिनेता संजय दत्त को उनके घर से गिरफ्तार किया गया. उनपर आरोप लगा कि जो हथियार की खेप भारत लाई गई उनमें से एक ए के-56 संजय दत्त के घर पर पाई गई.
 
 
26 अप्रैल 1993 को मुंबर्ई की टाडा अदालत में संजय दत्त ने अपने घर में ए के-56 रखने की बात कबूल की. गिरफ्तारी के बाद संजय दत्त जमानत पर रिहा हुए.
 
4 नवंबर 1993 को धमाका मामले में 189 लोगों के खिलाफ दस हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई. 
 
 
19 नवंबर 1993 को मामला की जांच सीबीआई को सौंपी गई. करीब सात महीने बाद संजय दत्त को दोबारा गिरफ्तार किया गया और उन्हें 18 महीनों की जेल हुई. 16 अक्टूबर 1995 को संजय दत्त को जमानत मिल गई
 
 
अप्रैल 1995 में मुंबई की टाटा अदालत में मामले की सुनवाई शुरू की गई. साल 2000 तक अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान खत्म हुए और 2001 तक अभियोजन पक्ष की दलीलें खत्म हुई. साल 2003 में मामले पर सुनवाई पूरी हुई. 
 
साल 2006 में अदालत ने 123 अभियुक्तों पर फैसला सुनाना शुरू किया जिनमें से 12 को निचली अदालत से मौत की सजा और 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. इसके अलावा कोर्ट ने 68 लोगों को उम्रकैद से कम की सजा सुनाई जबकि 23 लोगों को निर्दोष माना. 
 
इसके बाद करीब 12 साल तक मामले पर सुनवाई चलती रही और फिर साल 2007 में टाडा अदालत ने संजय दत्त को आर्म्स एक्ट का दोषी पाया लेकिन अन्य मामलों में बरी किया. कोर्ट ने संजय दत्त को  6 साल जेल की सजा सुनाई.
 
2 अगस्त 2007 को कोर्ट ने संजय दत्त को दोबारा हिरासत में लेने का आदेश दिया और उन्हें पुणे की येरवड़ा जेल में रखा गया. लेकिन 20 अगस्त को संजय दत्त को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई.
 
 
टाडा कोर्ट के फैसले के खिलाफ संजय दत्त ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में संजय दत्त को पांच साल जेल की सजा सुनाई.
 
साल 2014 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने याकूब मेमन की दया याचिका खारिज की वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी पुन: विचार याचिका खारिज कर दी. 
 
29 जुलाई 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने याकूब मेमन को मिली फांसी की सजा पर रोक लगाने से इनकार किया. याकूब ने राष्ट्रपति के पास फिर से गुहार लगाई लेकिन राष्ट्रपति ने फिर से दया याचिका खारिज कर दी.
 
 
29 जुलाई 2015 को याकूब मेमन की फांसी को लेकर क्यूरेटिव पेटिशन पर सुप्रीम कोर्ट में सुबह तीन बजे तक सुनवाई शुरू हुई और सुबह करीब पांच बजे तक चली लेकिन अंत में याचिका खारिज कर दी गई और पहली बार 1993 ब्लास्ट केस में याकूब मेमन को फांसी दी गई. 
 
 
 
 

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