श्रीनगर: कश्मीर घाटी में जिन अलगाववादी नेताओं के इशारे पर लोग सड़कों पर उतर आते हैं, पत्थर बरसाते हैं, उनके बच्चे और नाते रिश्तेदार खुद कश्मीर में नहीं रहते, विदेशों में रहते हैं. कई अलगाववादी नेताओं के बच्चे तमाम सुख-सुविधाओं के साथ अपने जिंदगी जीते हैं. कइयों के बच्चे तो दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहरों में रहकर पढ़ाई और बड़ी नौकरी कर रहे हैं.
सैय्यद अली शाह गिलानी का बेटा नईम गिलानी पाकिस्तान के रावलपिंडी में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है. उनका दूसरा बेटा जहूर गिलानी एक प्राइवेट एयरलाइन कंपनी में क्रू मेंबर है. गिलानी की बेटी सउदी अरब के जेद्दा में टीचर है और दामाद इंजीनियर.
वहीं मीरवाइज उमर फारुक की बहन राबिया फारुक लंदन में डॉक्टर है. आसिया अंद्राबी की बहन मरियम अंद्राबी मलेशिया में रहती है. आसिया अंद्राबी का बेटा भी मलेशिया में सेटल होना चाहता था, लेकिन वहां की सरकार ने उसे पासपोर्ट देने से इंकार कर दिया.
एनआईए की छापेमारी में पता चला है कि पिछले 8 सालों में पाकिस्तान की ओर से करीब 1500 करोड़ रुपए भेजे गए हैं. हुर्रियत ने आधी रकम को आतंक के लिए और आधी रकम को खुद की शान भरी जिंदगी पर लगा दी. एनआईए की पड़ताल के बाद दर्ज हुई एफआईआर में इस बात का सनसनीखेज़ खुलासा हुआ है कि बादाम गिरी के कारोबार की आड़ में आतंकियों की फंडिंग लंबे समय से हो रही थी.
जांच एजेंसी को ये भी पता चला कि बादाम की असल कीमत से दोगुने दाम पर इसकी खरीद हुई है और इसमें मुनाफे का बड़ा हिस्सा आतंकी और अलगाववादी नेताओं तक पहुंचाया गया. साल 1990 के बाद ये पहला मौका है जब हुर्रियत नेताओं को पाक से होने वाली फंडिंग की जांच में दबिश डाली गई है. कुछ अलगाववादी नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी भी की गई है.
इन सबके बीच अलगाववादी नेता पाकिस्तान की सरपरस्ती से बाज नहीं आ रहे हैं. मीरवाइज उमर फारूक ने पाकिस्तान क्रिकेट टीम को इंग्लैंड पर जीत का बधाई संदेश दिया. ट्विटर पर मीरवाइज ने लिखा- जैसे ही हमने तरावीह (रोजे के दौरान शाम की इबादत) खत्म की, पटाखों की आवाज सुनाई दी. पाकिस्तान ने बहुत अच्छा खेला. फाइनल के लिए बेस्ट ऑफ लक.