दार्जिलिंग: पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के दफ्तर में पुलिस की छापेमारी के बाद हालात बिगड़ गए हैं. प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर आगजनी भी की है. दार्जिलिंग में बेमियादी बंद बुलाने वाले गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (GJM) के दफ्तर में छापेमारी कर पुलिस ने भारी तादाद में हथियार और गोला-बारूद और विस्फोटक बरामद किए हैं.
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के दफ्तर में छापेमारी से प्रदर्शनकारी भड़क उठे हैं. मोर्चा की महिला विंग ने पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की. दार्जिलिंग में बिगड़े हालात पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के सीएम से रिपोर्ट मांगी है और राज्य सरकार से कानून-व्यवस्था दुरुस्त रखने को कहा है.
गुरूंग का अलगाववादी आंदोलन हर दिन बेहद हिंसक रहा है, इससे गोरखालैंड के गठन की जीजेएम की मांग तेजी से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए राजनीतिक संकट का रूप ले रही है. इस संकट से पर्यटन के मुख्य मौसम, गर्मियों के दौरान इस व्यवसाय पर भी बहुत असर पड़ने वाला है.
जीजेएम के महासिचव रोशन गिरि ने कहा, पहाड़ी में मौजूदा हालात राज्य सरकार के पैदा किए हुए हैं. वे पुलिस बल का प्रयोग करके हमें दबाना चाहते हैं. छापेमारी पर सफाई देते हुए कार्यकर्ता बिनय तमांग ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने उनके पुराने उपकरणों को हथियारों की तरह पेश किया है. बिनय ने कहा कि इसी वजह से वे गोरखलैंड, अधिकार, संस्कृति के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं.
क्या है मामला ?
पश्चिम बंगाल सरकार के एक प्रस्ताव के खिलाफ गोरखा जनमुक्ति मोर्चा समर्थकों ने आंदोलन कर दिया. आंदोलन इतना हिंसक हो गया कि वहां स्थिति संभालने के लिए सेना को बुलाया गया. दरअसल ममता सरकार सरकारी स्कूलों में बांग्ला भाषा को अनिवार्य करने का प्रस्ताव दिया था जिसके खिलाफ गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने हिंसक प्रदर्शन किया और कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया.
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया. इसके अलावा सरकारी बसों और पुलिस की गाड़ियों पर पत्थर और बोतलों से हमला किया. सीएम ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद ऐसा पहली बार है जब स्थिति को संभालने के लिए सेना की मदद ली जा रही है.