नई दिल्ली: आज प्रश्नकाल में धरती के स्वर्ग कश्मीर की एक अगल तस्वीर आप कह सकते हैं कि जन्नत तो जन्नत होगा न, तस्वीर अलग क्या हो सकती है लेकिन आज की तस्वीर उनके लिए जिन्होंने इस जन्नत को जहन्नुम बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है. लेकिन प्रश्नकाल की आज की रिपोर्ट उनके लिए करारा जवाब है.लेकिन उस जवाब को आपके सामने ऱखें उससे पहले तीन तस्वीरें आपके सामने रख रहा हूं.
आज के हालात ये हैं कि कोई भी बोल दे कि कश्मीर से खबर आई है तो लोग पूछते या सोचते हैं कि या तो सीमा पर गोलाबारी की खबर होगी या पत्तथरबाजों की तस्वीर होगी.कश्मीर का मतलब ही यही बनकर रह गया है.लेकिन आपके स्क्रीन की तीसरी तस्वीर कश्मीर के उस मतलब को बदलती है.
उसे नई पहचान देती है और बताती है कि कश्मीर को चंद लोग औऱ चंद भटके युवा जहन्नुम नहीं बना सकते है. प्रश्नकाल में आज कश्मीर के जिस बदले चेहरे को आपके सामने रखने जा रहे हैं उसकी पहली खबर उन इंजीनियर्स से जुड़ी है जो नई सुबह की इमारत खड़ी करेंगे.कश्मीर के उन युवाओं से मिलिए जिन्होंने हाथ में पत्तथर उठाने की बजाए कलम थामी और IIT में भी शानदार रिज़ल्ट हासिल किया.