नई दिल्ली: रेलवे ने अपने परंपरा गत बन रहे पुराने मॉडल के डिब्बे को बंद करने का फैसला लिया है. साल 2018 तक पूराने मॉडल के डिब्बों को बनाने का काम बंद कर दिया जाएगा. रेलवे मुसाफिरों को राहत और उनको सुरक्षा प्रदान करने के लिए 4 हजार पुराने कोच के नवीनीकरण और रेट्रोफिटिंग के मिशन को लांच किया.
नवीनीकरण के तहत महामना ट्रेन के तर्ज पर इसमें पैसेंजर्स इनफार्मेशन सिस्टम वाली LED, बायो टॉयलेट, अच्छी लाइटिंग, टॉयलेट में डिस्पेंसर जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं से लैस होंगे. रेट्रोफिटिंग का काम केवल AC और 3AC के कोच में नहीं बल्किं नॉन एसी कोचेस के लिए भी किया जाएगा.
रेट्रोफिटिंग में सेंट्रल बफलर कप्ललिंग यानी CBC लगाया जाएगा ताकि रेल हादसे के दौरान रेल डिब्बे एक दूसरे पर ना चढ़ सके और जान माल की क्षति कम से कम हो. फिलहाल ऐसे 80 फीसदी कोचेस हैं जिसका रेलवे इस मिशन के तहत कायाकल्प करने जा रहा है.
कुछ कोचेस को PPP मॉडल (पब्लिक, प्राइवेट पार्टनरशिप ) के आधार पर भी अपडेट किया जाएगा. ये योजना साढ़े पांच साल के लिए है. इन कोचेस का इंटेरयर में जो सुविधाएं होगी वो महामना ट्रेन के तर्ज पर होगी. कोचेस की नवीनीकरण में करीब 30 लाख रुपये और रेट्रोफिटिंग के लिए एक कोच पर 28 लाख रुपये पर की लागत आएगी.
ये काम को भोपाल और मुंबई के अलावा दूसरी जगहों कोचेस को अपडेट करने का काम किया जाएगा. इस साल 2000 कोचेस का नवीनीकरण और रेट्रोफिटिंग किया जाएगा. इसी तरह साढ़े पांच साल में करीब 15000 करोड़ की लागत से 40000 डिब्बों में बदलाव के साथ उनको नया लुक दिया जाएगा. साथ ही.