नई दिल्ली : कोलकाता हाईकोर्ट के जज सीएस कर्णन आज रिटायर हो रहे हैं, हालांकि इस वक्त वह गिरफ्तारी के डर से फरार चल रहे हैं. ऐसा पहली बार हो रहा है कि फरार रहते हुए हाईकोर्ट का कोई जज रिटायर हो रहा है. बता दें कि कर्णन पिछले 10 मई से लापता चल रहे हैं.
12 जून 1955 को जन्म लेने वाले कर्णन को सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की पीठ ने न्यायलय की अवमानना के मामले में दोषी करार दिया था और गिरफ्तार करने का फैसला सुनाया था. कोर्ट ने कर्णन को छह महीने की कैद की सजा भी सुनाई है.
गिरफ्तारी का आदेश जारी होने पर जस्टिस करनन ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर समेत कुल 6 अन्य जजों को एक मामले में दोषी मानते हुए पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी. करनन ने सुप्रीम कोर्ट के इन सभी न्यायाधीशों को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने पर यह फैसला दिया था.
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गिरफ्तारी का आदेश दिए जाने के बाद कर्णन को आखिरी बार चेन्नई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में देखा गया था. उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पश्चिम बंगाल की पुलिस टीम भी चेन्नई पहुंची थी लेकिन तब से लेकर अभी तक कर्णन को कई जगहों पर तलाश किया जा चुका है लेकिन वह लापता हैं.
ऐसा पहली बार होगा कि कोई जज अपने फेयरवेल में शामिल नहीं होगा. अगर कर्णन सामने आ भी जाते हैं तो उन्हें तुरंत ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
क्या है मामला ?
बता दें कि 23 जनवरी को कोलकाता हाईकोर्ट के जज कर्णन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के 20 वर्तमान जजों की लिस्ट भेजी थी और उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी, जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर कर्णन पर न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी कर दिया था.
अवमानना का नोटिस जारी होने पर 9 फरवरी को कर्णन ने कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को खत लिखकर कहा था कि हाईकोर्ट के सिटिंग जस्टिस के खिलाफ कार्रवाई सुनवाई योग्य नहीं है. साथ ही उन्होंने इस बात की भी मांग रखी थी कि सुनवाई सीजेआई खेहर के रिटायरमेंट के बाद होनी चाहिए, अगर सुनवाई जल्द ही करनी है तो मामला संसद रेफर किया जाना चाहिए, साथ ही उन्हें न्यायिक और प्रशासनिक कार्य वापस भी मिलने चाहिए.