जयपुर: देश के अलग-अलग हिस्सों में जारी किसान आंदोलन की आग अब राजस्थान पहुंच गई है. राजस्थान में भी न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने सहित अपनी 12 मांगों को लेकर किसान आंदोलन पर उतर आए हैं. इसी कड़ी में प्रतापगढ़ में किसान संगठनों ने बंद बुलाया है.
इसी क्रम में शनिवार को झुंझुनूं में किसान महासभा की आपात बैठक बुलाई गई, जिसे पूर्व विधायक कामरेड पैमाराम और पूर्व उप जिला प्रमुख कामरेड विद्याधरसिंह गिल ने संबोधित किया. किसान नेताओं ने सबसे पहले मध्यप्रदेश के मंदसौर के मृत किसानों को श्रद्धांजलि दी और गोली बरसाने के कदम की निंदा की.
किसान नेताओं ने कहा कि सत्ता में आने से पहले सरकार ने वादा किया था कि वे स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करगी, लेकिन सरकार अपने वादे से मुकर रही है और वादा याद दिलाने वाले किसानों को गोली मारी जा रही है. सरकार यदि अपना वादा पूरा नहीं करती है तो राजस्थान के किसान देशव्यापी आंदोलन के अगुवा होंगे.
देश के अलग-अलग हिस्सों में जारी आंदोलन को लेकर अब किसान संगठन साझा रणनीति बनाने में जुट गए हैं. इसी कड़ी में 50 किसान संगठनों ने दिल्ली में बड़ी बैठक की. किसान संगठनों की इस बैठक में किसान आंदोलन को और तेज करने के लिए आगे की रणनीति पर विचार किया गया. ऐसे में मोदी सरकार की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं.
किसान संगठन पहले ही अपनी मांगों को लेकर 9 अगस्त को देश भर के हाईवे को जाम करने और फिर जनवरी में दिल्ली में बड़ा किसान आंदोलन करने की योजना बना चुके हैं. जिन राज्यों में इस समय किसान आंदोलन की आग फैली हुई है .उनमें मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक और तेलंगाना शामिल हैं.
गुजरात मे भी यूपी की तर्ज पर किसानों की कर्ज माफी की मांग की जा रही है. क्षत्रिय ठाकोर सेना ने किसानों का 30 हजार करोड़ कर्ज माफ करने की मांग की है. क्षत्रिय ठाकोर सेना ने गुजरात सरकार को किसानों की कर्ज माफी पर विचार करने के लिए दस दिन का समय दिया है. 20 जून से 150 तालुकाओं में आंदोलन शुरू होगा.