अमरनाथ यात्रा पर आतंक का साया, घाटी में हिजबुल और लश्कर के 200 से ज्यादा आंतकी मौजूद

समुद्रतल से 12 हजार 756 फीट की ऊंचाई पर बसे बाबा बर्फानी का द्वार घने जंगलो और पहाड़ो से होकर जाता है. उबड़ खाबड़ रास्ते में कई किलोमीटर तक बर्फ की मोटी पर्त मिलती है. ऐसे हालात में भक्तों के लिए रास्ता बेहद मुश्किल भरा होता है.

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अमरनाथ यात्रा पर आतंक का साया, घाटी में हिजबुल और लश्कर के 200 से ज्यादा आंतकी मौजूद

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  • June 8, 2017 5:28 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: समुद्रतल से 12 हजार 756 फीट की ऊंचाई पर बसे बाबा बर्फानी का द्वार घने जंगलो और पहाड़ो से होकर जाता है. उबड़ खाबड़ रास्ते में कई किलोमीटर तक बर्फ की मोटी पर्त मिलती है. ऐसे हालात में भक्तों के लिए रास्ता बेहद मुश्किल भरा होता है. 
 
बाबा बर्फानी की गुफा तक पहुंचने के 2 रास्ते हैं. पहला रास्ता पहलगाम से शुरू होता है. दूसरे रास्ते की शुरुआत बालटाल से होती है. पहलगाम से भक्तो को 29 किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ता है. पहलगाम से पहले पीस्सु टॉप जहां चंदनवाड़ी बेसकैंप है. पीस्सु टॉप से जोजीबल, जोजीबल से नागाकोटी. नागाकोटी से शेषनाग, शेषनाग से वारबल. वारबल से महागणेश टॉप, महागणेश टॉप से पंचतरणी और पंचतरणी से संगम.
 
 
अमरनाथ यात्रा का दूसरा रास्ता बालटाल से होकर जाता है. अगर आप बालटाल के रूट से होकर जाते हैं तो 14 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी. दूसरे रास्ते पर बालटाल बेसकैंप है यहां से दोमेल जो कि 2 किलोमीटर है. दोमेल से बरारी 5 किलोमीटर है और बरारी से संगम 4 किलोमीटर है.
 
संगम पर आकर दोनों रास्ते मिल जाते है और यहां से तकरीबन 3 किलोमीटर की दूर्गम चढ़ाई है जिसके बाद पवित्र गुफा आती है. इस बार आस्था के आगे आतंक को झुकना पड़ेगा. सबसे कठिन और चुनौती वाली अमरनाथ यात्रा में इस साल बेतहासा बढोतरी के संकेत मिल रहे है.
 
 
यात्रा को शुरु होने में अभी 20 दिन का वक्त है लेकिन अभी से बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए 2 लाख से ज्यादा भक्तों ने अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया है. ये आकड़ा इसीलिए चौकाने वाला है क्योकि हर साल की तुलना में इस बार अमरनाथ यात्रा पर सबसे ज्यादा खतरा है लेकिन भक्तों ने आतंकियों के नापाक मंसूबो के आगे बाबा बर्फानी में अपनी आस्था दिखाई है.
 
सीमा पार से दर्जनों की तादाद में आतंकी मौके की तलाश में है. ऐसे मौके कि जिसमें ज्यादा से ज्यादा जिदगियों को मौत की नींद सुलाया जा सके और अपनी दहशत को कायम किया जा सके. अब तक दहशतगर्दों ने जितने हमले किए. उसमें उन्हे कहीं कामयाबी मिली और तो कही वो बुरी तरह हारे.
 
अपनी उसी हार का बदला लेने के लिए आतंकी अमरनाथ यात्रा के शुरु होने का इंतजार कर रहे है. बस 20 दिन और यानि 29 जून से अमरनाथ यात्रा शुरु होने जा रही है और रक्षाबंधन वाले दिन यानि 7 अगस्त तक अमरनाथ की ये यात्रा चलेगी. 
 
 
जाहिर है आतंकियों के पास 39 दिन का लंबा वक्त होगा. इन 39 दिनों के हिसाब से आतंकियों के पास तकरीबन 1000 घंटे है. जिसमें उनके निशाने पर लाखों की तादाद में बाबा बर्फानी के निहत्थे भक्त होंगे. जब चाहे जैसा चाहे आतंकी बड़ा हमला कर सकते है और अपने मंसूबो में कामयाब हो सकते हैं.
 
अमरनाथ यात्रा के लिए 32 राज्यों में पंजाब नेशनल बैंक, जम्मू-कश्मीर बैंक व यस बैंक की 437 शाखाओं में रजिस्ट्रेशन हो रहा है. एक मार्च से शुरु हुए इस रजिस्ट्रेशन में हर दिन करीब 1200 श्रद्धालुओं ने रजिस्ट्रेशन कराया है. दो लाख से ज्यादा भक्तों ने अब तक रजिस्ट्रेशन करा लिए है हैरानी की बात ये है कि इन भक्तों ने बालटाल रुट से ज्यादा पहलगाम रुट को चुना है. 
 
कश्मीर में घाटी के हालात खराब है. सीमा पार से दर्जनों आतंकी घुसपैठ के लिए तैयार है. हिजबुल और लश्कर के 200 से ज्यादा आंतकी घाटी में मौजूद है. ऐसे में शिवभक्तों के लिए ये यात्रा और ज्यादा खतरनाक हो जाती है. जिनकी सुरक्षा का जिम्मा सेना के जवानों पर टिका है.
 
दरअसल पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी की शिवलिंग धरती पर मौजूद एक अद्भुत चमत्कार है. मान्यता है कि इस पवित्र गुफा में महादेव पार्वती आज भी मौजूद है. इस मान्यता पर इंसान का इतना अटूट भरोसा है कि वो अपने जीवन में एक ना एक बार यहां आकर भगवान शिव के साक्षात दर्शन कर लेना चाहता है.
 
(वीडियो में देखें पूरा शो)

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