श्रीनगर: अलगावविदायों को मिलने वाली टेरर फंडिंग के खिलाफ जांच में जुटी एनआईए के रडार पर एक ऐसा शख्स आया है जिसपर शक है कि वो भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसी RAW को डबल क्रॉस कर रहा था. दरअसल जांच एजेंसियों को शक है कि कश्मीर में कालीन का व्यापार करने वाला नासिर शफी मीर नाम का एक शख्स रॉ के साथ-साथ पाकिस्तान की सीक्रेट एजेंसी ISI के लिए भी काम करता था.
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक नासिर मीर कश्मीर में रॉ के साथ-साथ भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी काम करता था. नासिर मीर साल 2000 में हिजबुल के कमांडर मोहम्मद युसूफ शाह उर्फ सैय्यद सलाउद्दीन को बातचीत की टेबल तक लेकर आया था.
हिजबुल और सरकार की बातचीत में निभाई थी अहम भूमिका
इंटेलिजेंस के एक अधिकारी के मुताबिक ‘ हमें शक है कि नासिर मीर कश्मीर में अलगाववादियों के अलावा हिजबुल और ISI तीनों से जुड़ा हुआ था. हम उसके लिंक के बारे में जानते थे लेकिन जब भारत सरकार हिजबुल को बातचीत की टेबल पर लाना चाह रही थी तब नासिर मीर ने इस काम में बड़ी मदद की थी.
नासिर ने साल 2000 में हिजबुल के कमांडर की केंद्रीय गृह सचिव कमाल पंडित से मुलाकात कराई थी जो मुंह ढ़ककर वहां पहुंचा था. जानकारी के मुताबिक इस घटना के बाद भी कुछ सालों तक नासिर भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसी के लिए बहुत काम आया. लेकिन बाद में पता चला कि भारत से ज्यादा वो पाकिस्तान के लिए काम करता था. जांच में पता चला कि पाकिस्तान नासिर का इस्तेमाल अलगाववादियों को पैसा पहुंचाने के लिए करता था.
अलगाववादियों को पैसा पहुंचाता था नासिर
साल 2006 में दिल्ली पुलिस ने नासिर को गिरफ्तार किया, जिस वक्त उसे गिरफ्तार किया उस वक्त उसके पास 55 लाख नगद और विस्फोटक बरामद हुए थे. मीर की गिरफ्तारी ने कश्मीर के अलगाववादियों के बीच हलचल मच गई और एक वरिष्ठ अलगाववादी नेता ने भारत सरकार से मीर को छोड़ने की गुहार लगाई.
गिरफ्तारी के करीब एक साल बाद मीर को कोर्ट से जमानत मिल गई क्योंकि उसकी मां की हालत बहुत खराब थी लेकिन जमानत मिलने के बाद से ही मीर गायब है. माना जाता है कि उसके पास पाकिस्तानी पासपोर्ट भी था और अब वो पाकिस्तान में रहकर गल्फ देशों के साथ व्यापार करता है.