नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा हुर्रियत नेताओं के ठिकानों पर छापों के दौरान मिले दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि अलगाववादी नेता पाकिस्तान से मिलने वाले फंड को किस तरह जुटाते हैं और किस तरह अपनी शान से भरी जिंदगी जीते हैं. एनआईए की छापेमारी में पता चला है कि पिछले 8 सालों में पाकिस्तान की ओर से करीब 1500 करोड़ रुपए भेजे गए हैं. हुर्रियत ने आधी रकम को आतंक के लिए और आधी रकम को खुद की शान भरी जिंदगी पर लगा दी.
एनआईए को मिली ये जानकारियां अब हुर्रियत नेताओं पर काबू पाने की दिशा में अहम साबित हो सकती हैं. एनआईए ने शनिवार और रविवार लगातार दोनों दिन अलगाववादी नेताओं के ठिकानों पर छापा मारा. जिसमें हुर्रियत नेता एयाज अकबर के घर समेत 3 ठिकानों पर छापेमारी हुई. शनिवार को दिल्ली, हरियाणा और श्रीनगर के ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी, जिसमें करोड़ों कैश समेत आतंकी संगठनों के दस्तावेज मिले थे.
एनआईए के छापे में पुख्ता सबूत मिले हैं कि पाकिस्तान से आए पैसे से इन नेताओं ने गुलमर्ग, श्रीनगर और सोनबर्ग में करोड़ों की बेनामी संपत्ति बनाई है. अब इस बेनामी संपत्ति की जांच का मामला प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दे दिया गया है. छापे के दौरान संकेत मिले हैं कि पिछले 7-8 सालों में हुर्रियत नेताओं को पाक ने घाटी में गड़बड़ी फैलाने के लिए 1500 करोड़ से अधिक राशि दी है.
एनआईए सूत्रों के अनुसार, हुर्रियत नेताओं की महंगी जीवनशैली और उनके बच्चों की विदेशों में महंगी पढ़ाई भी पाक से मिले फंड से पूरी होती है. एनआईए का यह एक्शन मनी लॉन्ड्रिंग और पाकिस्तान से पैसा लेने के सबूत मिलने के बाद लिया गया. छापेमारी में लगभग 3 करोड़ कैश के अलावा करोड़ों की संपत्ति का पता चला है. इसमें मिले कागजातों की जांच जारी है. 1990 के बाद यह पहला मौका है जब हुर्रियत नेताओं की फंडिंग की जांच के लिए दबिश बढ़ाई गई है.
अलगाववादी नेता नईम खान, जो कि सैयद अली शाह गिलानी के बेहद करीब है. उसके एनआईए की छापेमारी के दौरान 1.15 करोड़ रुपए, संपत्ति से संबंधित दस्तावेज जब्त किए गए. लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन के लेटर हेड, पेन ड्राइव, लैपटॉप को भी एनआईए ने जब्त किया. प्रारंभिक जांच को भी अब रेगुलर केस में बदल दिया गया है. उसके तहत ही छापा भी मारा गया.