नई दिल्ली : रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक में रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है. बताया जा रहा था कि बैठक के बाद गवर्नर उर्जित पटेल ब्याज दरों में बदलाव कर सकते हैं, मगर रिजर्व बैंक ने रेपो रेट की दर 6.25 फीसदी बरकरा रखी है और रिवर्स रेपो रेट को भी 6 फीसदी पर ही कायम रखा है.
बता दें कि इस बैठके से पहले रॉयटर्स ने 56 से 60 विश्लेषकों से बातचीत के आधार पर एक सर्वेक्षण कर रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें ये उम्मीद जताई गई थी कि आरबीआई अपने मौद्रिक नीति में बदलाव नहीं करेगा और रेपो रेट 6.25 फीसदी बरकार रखेगा.
गौरतलब है कि मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक ऐसे समय में हुई है जबकि सरकार निजी निवेश बढ़ाने के लिए उधारी लागत को घटाने पर जोर दे रही है. वहीं ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना था कि केंद्रीय बैंक द्वारा नीतिगत ब्याज दर में किसी तरह का बदलाव अपेक्षित नहीं है.
बता दें कि जनवरी-मार्च, 2017 की तिमाही में आर्थिक विकास दर घटकर 6.1 फीसद पर रह गई है. जिसके कारण सभी बड़े उद्योग चैंबर फिक्की, सीआइआइ ने सरकार से कर्ज की दर को घटाने की मांग की थी ताकि उद्योग जगत की तरफ से नए निवेश किये जा सके.
रेपो रेट- रोजमर्रा के कामकाज के लिए बैंकों को भी बड़ी रकमों की ज़रूरत पड़ जाती है और ऐसी स्थिति में उनके लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से ऋण लेना सबसे आसान विकल्प होता है. इस तरह के ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से कॉमर्शियल बैंकों से ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं
रिवर्स रेपो रेट- अल्पकालिक अवधि के लिए RBI द्वारा कॉमर्शियल बैंको से जिस ब्याज दर पर नकदी प्राप्त की जाती है, ‘रिवर्स रेपो दर’ उसे रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है. बता दें कि रिजर्व बैंक भी अन्य बैंकों से अपने कामकाज के लिए पैसे उधार लेती है. रिवर्स रेपो रेट उसी प्रक्रिया को कहा जाता है.