नई दिल्ली: आज पर्यावरण दिवस है यानि कुदरत के लिए कुछ करने के प्रण लेने का दिन और ये पर्यावरण दिवस 1973 से मनाया जा रहा है. ह्लील चेयर पर बैठे दुनिया के मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग हैं. बीबीसी के लिए हाल ही में ‘एक्सपिडिशन न्यू अर्थ’ नाम की एक डॉक्यूमेंट्री में हॉकिंग ने कहा है कि दुनिया अगले 100 साल में ख़त्म हो जाएगी. ये तय है.
हॉकिंग के मुताबिक इंसान को अपने लिए नई दुनिया की तलाश करनी होगी और ऐसा क्यों होगा इसके लिए स्टीफन हॉकिंग ने 5 वजहे गिनाई है. पहली वजह पार्यावरण में बदलाव से मीठा पानी ख़त्म हो जाएगा. दूसरी वजह मौसम के चक्र में उलट-पलट होना.
तीसरी वजह बनेगी दुनिया की बेहिसाब जनसंख्या. चौथी वजह धरती के नजदीक से गुजरते उल्का पिंडों का टकराना होगी. वो भी पर्यावरण में बदलाव की वजह से और पांचवी वजह होंगे विध्वंस के हथियार. स्टीफन हॉकिंग ने जो पहली वजह गिनाई है मीठे पानी के ख़त्म होना वो बेहद खतरानक भारत के लिए होती जा रही है.
बनारस की गंगा के पानी के बहाव में 1975 से 2017 के बीच करीब 60% का अंतर आ चुका है. बेहिसाब जनसंख्या के तौर पर दुनिया के खत्म होने की तीसरी वजह का प्रमाण भी सबके सामने है. पिछले 4 दशक में दुनिया की आबादी दोगुनी हो चुकी है. संसाधन उतने ही हैं और उन संसाधनों का इस्तेमाल करनेवाले दोगुने हो चुके हैं.
अब चौथी वजह उल्का पिंडों का टकराना. इसके लिए कहा गया है कि लगातार गर्मी बढ़ने से दोनों ध्रुवों पर मौजूद बर्फ के ग्लेशियर रोजाना तेजी से ढहते-टूटते जा रहे. आंकड़ा दुनिया की तीन बड़ी यूनिवर्सिटी ने रिसर्च कर निकाला है. वो ये है कि हर साल 300 अरब टन बर्फ पिघल जाती है. ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले सौ साल में समंदर का लेवल बढ़ते-बढ़ते 13 फीट ऊपर जा सकता है.
इस बीच एक और खतरा है, दोनों ध्रुवों के ग्लेशियर के ढहने-टूटने से धरती का गुरुत्वाकर्षण बल बदल सकता है. जिससे इसकी तरफ आने वाली उल्का पिंड के टरकाने का खतरा दो गुना बढ़ जाएगा. पांचवी वजह विध्वंस वाले हथियार की चिंता है. जिसके बारे में बताने-समझाने की जरूरत शायद नहीं.
वैसे एक बात मैं आपको बता देना चाहता हूं कि स्टीफन हॉकिंग ने जिस डॉक्यूमेंट्री के लिए ये बातें कहीं. वो डॉक्यूमेंट्री आई नहीं, आने वाली हैं और उनकी बातों को लेकर दुनिया के कुछ वैज्ञानिकों में मतभेद भी हैं. लेकिन कमोबेश ये बातें सारे वैज्ञानिक मानते हैं कि पार्यावरण को जिस तरह हम-आप तबाह-बर्बाद कर रहे हैं.
उसमें 100 साल क्या बहुत जल्द ये धरती रहने लायक नहीं रहेगी और कई चीजें तेजी से ख़त्म हो सकती हैं. नैनीताल की वो नैनी झील है जिसकी वजह नैनीताल का नाम भी है और दुनिया में उसकी पहचान भी है. लेकिन नैनीताल की नैनी झील किस तरह तालाब में बदलने लगी है. नैनीताल की रिपोर्ट लाने लई निहारिका ने देखा कि नैनी झील का पानी 12 फीट कम गया है.
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