बाबर के देश से आई एक्सपर्ट्स की टीम, ढूंढी बाबर से जुड़ी यादें

बाबर का नाम देश के बच्चे बच्चे को पता है, और राजनीति उसे भूलने नहीं देती. देश के सबसे बड़े मुद्दे राम जन्म भूमि से बाबर का नाम जुड़ा है. ऐसे में बाबर के अपने देश उज्बेकिस्तान के लोग भारत में आकर बाबर से जुड़ी यादें, कागजात, पांडुलिपियां और इतिहास खंगाले तो जाहिर है

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बाबर के देश से आई एक्सपर्ट्स की टीम, ढूंढी बाबर से जुड़ी यादें

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  • June 5, 2017 1:36 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: बाबर का नाम देश के बच्चे बच्चे को पता है, और राजनीति उसे भूलने नहीं देती. देश के सबसे बड़े मुद्दे राम जन्म भूमि से बाबर का नाम जुड़ा है. ऐसे में बाबर के अपने देश उज्बेकिस्तान के लोग भारत में आकर बाबर से जुड़ी यादें, कागजात, पांडुलिपियां और इतिहास खंगाले तो जाहिर है.
 
उनकी नजरिया नेगेटिव तो नहीं ही होगा. उज्बेकिस्तान से एक्सपर्ट्स की एक टीम पिछले अप्रैल से भारत में हैं और वो मुगलों से जुड़े अलग-अलग शहरों और म्यूजियम्स में बाबर से जुड़ी यादों पर काम कर रही है.
 
दरअसल बाबर उज्बेकिस्तान के फरगना प्रांत में अंडीजान शहर से आया था और उस शहर में बाबर को हीरो की तरह पूजा जाता है, जिस दिन आप वेलेंटाइन डे मनाते हैं, उस दिन वहां बाबर डे मनाया जाता है क्योंकि 14 फरवरी को बाबर का जन्मदिन होता है. भारत में भले ही आपको किसी भी मुगल बादशाह की मूर्ति नहीं पाएंगे, इस्लाम में मूर्तियां बनाना मना जो है, लेकिन आप अंडीजान में कई जगह बाबर की मूर्तियां पाएंगे और इन सब मूर्तियों के हाथों में तलवार नहीं है, बाबर की मूर्ति के हाथ में या तो कुरान है या फिर कोई अन्य किताब. बाबर की छवि यहां आंक्रांता की नहीं बल्कि साहित्य के जानकार की है.
 
 
बाबर के देश से जिस प्रोजेक्ट के तहत ये टीम आई है, उस प्रोजेक्ट का नाम है ‘कल्चरल लीगेसी ऑफ उज्बेकिस्तान इन द आर्ट कलेक्शंस ऑफ द वर्ल्ड’. जिसके तहत वो पूरी दुनियां में उज्बेकिस्तान से सम्बंधित ऐतिहासिक मैटीरियल ढूंढने में जुटे हैं, जबकि हकीकत ये भी है कि बाबर के उज्बेकिस्तान से आने के बाद ना तो कभी बाबर ने और ना ही कभी उसकी आने वाली नस्लों ने फिर कभी उज्बेकिस्तान का रुख नहीं किया. जब दिल्ली के नेशनल म्यूजियम में ये टीम गई तो उसकी रुचि दो बातों में ज्यादा थी, मुगल बादशाहों को उन दिनों गिफ्ट में दी गई कुरान की प्रतियां और बाबरनामा.
 
इस टीम की अगुवाई की प्रोफेसर एंड्री जेबकिन ने, ये वो महिला हैं जिनकी हालिया किताब ओरंगजेब पर थी. इस किताब ‘द मैन एंड द मिथ’ में एंड्री ने ना केवल औरंगजेब की कुख्यात छवि को सुधारने का प्रयास किया बल्कि ये बताने की भी कोशिश की कि वो बुरा आदमी नहीं था.
 
 
जैसा कि भारतीय इतिहासकारों ने उसे बताया है. ऐसे में जबकि भारत में महाराणा प्रताप और अकबर, दारा शिकोह और औरंगजेब जैसी चर्चाएं हो रही हैं, कोई पहले औरंगजेब को पॉजीटिव नजरिए से पेश करे, फिर बाबर की छवि भी बदलने की कोशिश भी करे, तो शायद इससे विवाद ही होगा. वैसे भी इस टीम ने अकबर, जहांगीर, शाहजहां या दारा शिकोह जैसे कम विवादित मुगलों के बजाय जिस तरह से सबसे ज्यादा विवादित अकबर और औरंगजेब की छवि सुधारने का कैम्पेन शुरू किया है, उससे विवाद और भी बढ़ सकता है.

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