इस मंदिर में भगवान शिव के पैर छुए बिना अस्त नहीं हो सकता सूर्य

नई दिल्ली: दुनिया में दो तरह के रहस्य होते हैं, एक वो जिनके बारे में हम सिर्फ किस्से कहानियों में ही सुनते हैं और दूसरे रहस्य ऐसा होते हैं जिसे हम अपनी आखों से देखते हैं. जिसकी प्रमाणिकता हम खुद तय करते हैं. पांच हजार साल पुराने एक ऐसे ही रहस्य का इंडिया न्यूज को पता चला है.
हिंदुस्तान के देवभूमि कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में एक ऐसा मंदिर है, जो लगातार 8 महीने तक गायब हो जाता है. 8 महीने बाद जब ये मंदिर अचानक प्रकट होता है, तो लोगों को थोड़ी देर के लिए अपनी आंखों पर भी यकीन नहीं होता.
8 महीने तक गायब रहने वाले मंदिर में एक स्वर्ग की सीढी है. जिसे 5 हजार साल पहले पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान बनाया था. इस अद्भुत रहस्य का पता लगाने के लिए हम चंडीगढ़ से कांगड़ा के लिए सड़क के रास्ते निकल पड़े. जानकारी के मुताबिक गायब होने वाला मंदिर इस वक्त लोगों के सामने प्रकट हो चुका है.
हैरानी की बात ये है कि पिछले करीब 50 साल से ये मंदिर हर साल पानी में 8 महीने के लिए डूब जाता है. बावजूद इसके मंदिर पर कोई असर नहीं होता. मंदिर की बुनियाद और बनावट आज भी वैसी ही है जैसी हजारों साल पहले थी. ये दो बाथू की लड़ी मंदिर की हैं, एक में मंदिर साफ नजर आ रहा है. जबकि दूसरी तस्वीर में मंदिर पूरी तरह से जलमग्न है.
महाभारत काल के इस मंदिर में स्वर्ग की उस सीढी पांडवों ने तैयार की थी. दरअसल अज्ञातवास पर निकले पांडव जहां कहीं भी रुकते थे, वहां वो अपने रहने के लिए निर्माण कार्य शुरू कर देते थे. लेकिन बाथू की लड़ी में मंदिर के निर्माण के दौरान उन्होंने स्वर्ग में जाने के लिए सीढ़ी बनाने का फैसला किया.
ये काम आसान नहीं था, पांडवों ने इसके लिए भगवान श्रीकृष्ण से आग्रह किया. श्रीकृष्ण ने पांडवों को वरदान दिया. वरदान के मुताबिक पांडवों को स्वर्ग की सीढ़ी बनाने के लिए 6 महीने का वक्त दिया गया. इस दौरान न तो उन्हें सूर्य के दर्शन होते और न ही कहीं से रोशनी आती. यानी भगवान ने पूरे 6 महीने तक रात कर दिया.
बाथू की लड़ी मंदिर में एक ऐसा भी रहस्य है जो सारे विज्ञान को फेल साबित कर देता है.  मौसम चाहे जैसा भी हो यहां सूर्य अस्त तभी होता है, जब सूरज की आखिरी किरणें बाथू मंदिर में विराजमान महादेव के चरण छूती हैं. मुगल काल में इस अद्भुत रहस्य को देखकर मुगल बादशाहों ने पूरी ताकत लगा दी. ताकि मंदिर में सूर्य की किरणों को जाने से रोका जा सके.
उनकी तमाम कोशिशें बेकार हो गईं. आज भी मंदिर का ये रहस्य लोगों को हैरानी में डाल देता है. महाभारत काल में बाथू पत्थर से बने बाथू की लड़ी मंदिर में कुल 6 मंदिर हैं। इनमें से पांच छोटे मंदिर हैं, जबकि एक मुख्य मंदिर है. इन छोटे-छोटे मंदिरों में भगवान विष्णु और शेष नाग की मूर्तियां हैं. जबकि मुख्य मंदिर में महादेव का शिवलिंग विराजमान है.
मंदिर की बनावट कुछ ऐसी की गई है कि कोई भी दिन ऐसा नहीं बीतता जब सूर्य की किरणें महादेव का चरण छूए बिना अस्त हो जाती हो. कहते हैं त्रेता युग से पहले अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां आश्रय लिया था और भगवान शिव की पूजा करने के लिए बाथू पत्थर से इस मंदिर का निर्माण किया था. इसलिए इस मंदिर का नाम बाथू की लड़ी, यानी बाथू की माला पड़ी.
(वीडियो में देखें पूरा शो)
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