UPSC में लहराने लगा हिंदी पट्टी का परचम, टॉप 50 में तीन शामिल

संघ लोक सेवा आयोग में हिन्दी माध्यम के युवा अपना दम-खम दिखाने लगे हैं. साल 2013 में एक भी युवाओं का नाम टॉप 100 रैंक में नहीं था

Advertisement
UPSC में लहराने लगा हिंदी पट्टी का परचम, टॉप 50 में तीन शामिल

Admin

  • June 3, 2017 12:45 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: संघ लोक सेवा आयोग में हिन्दी माध्यम के युवा अपना दम-खम दिखाने लगे हैं. साल 2013 में एक भी युवाओं का नाम टॉप 100 रैंक में नहीं था, वहीं 2016 में 8 परीक्षार्थी टॉप 100 रैंक में जगह बनाने में कामयाब रहे हैं. जिसमें 3 टॉप 50 रैंक में हैं. जबकि मिली जानकारी के अनुसार पूरे यूपीएससी में हिंदी माध्यम के 57 परीक्षार्थी सलेक्ट किए गए हैं. मतलब यूपीएससी परीक्षा में हिंदी माध्यम के युवायों की संख्या अब स्पीड पकड़ने लगी है.
 
इस साल के यूपीएससी परीक्षा में यूपी के बुलंदशहर के रहने वाले गौरव कुमार ने हिंदी माध्यम की परीक्षा में पहला रैंक हासिल किया है. जबकि गौरव साल 2016 की यूपीएससी हिंदी मीडियम की परीक्षा में अच्छा प्रयास किया था जिसके बाद उनको IRTS मिला. लेकिन इस साल उनका IAS बनने का सपना पुरा हो गया. गौरन ने इंडिया न्यूज/इनखबर से बातचीत में बताया कि पिछले सालों की अपेक्षा यूपीएससी के हिंदी अनुवाद प्रश्नों में काफी सुधार हुआ है. फिर भी इसके लिए उनको कड़ी मेहनत करनी पड़ी. 
 
 
जबकि भरतपुर राजस्थान के शैलेंद्र इंदोलिया को हिंदी माध्यम की रैंकिंग में तीसरे नंबर पर हैं. अगर यूपीएससी रैंक की बात करे तो इंदोलिया रैंकिंग में 38वें स्थान पर हैं. इंदोलिया ने दिए एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि हिंदी मीडियम होने के नाते दिक्कते तो आई. तीन प्रयासों में सफलता नहीं मिली थी. शैलेंद्र इंदोलिया ने पिछले साल की संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के जनरल स्टडीज में हाइएस्ट नंबर थे. कस्टम IRS के लिए चयनित किए गए. लेकिन आईएससी च्वॉइस के आधार पर शैलेंद्र ने IPS की चुना. 
 
मुख्य परीक्षा में चुनौती अभी भी 
इस संबध में हिंदी युवाओं के लिए यूपीएससी की तैयारी कराने वाले निर्माण IAS कोचिंग के प्रमुख कमलदेव सिंह ने बताया कि प्रारंभिक परीक्षा की बाधा तो दूर हो गई है. लेकिन मुख्य परीक्षा में हिंदी माध्यम वाले परीक्षार्थियों की चुनौती अभी भी बरकरार है. इन्होंने दावा करते हुए कहा कि UPSC क्लीयर करने वालों में हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाई माध्यम के केवल 5 प्रतिशत परीक्षार्थी ही पास हुए हैं. पिछले 4 साल से यहीं हो रहा है.     
 
 
2011 में सी-सैट हुआ शामिल
असल में संघ लोक सेवा आयोग ने साल 2011 में सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा में सी-सैट का नाम का प्रश्नपत्र शामिल किया. इसी आधार में 2013 की परीक्षा आयोजित की गई. इस प्रशन पत्र के अधिकतर सवाल इंग्लिश और मैथ्स के होते थे. हालात ऐसे कि अंग्रेजी सवालों का हिंदी ट्रांसलेशन इनता खराब था कि उसे समझने में लोगों का टाइम खत्म हो जाता था. अंग्रेजी में सवाल का अर्थ कुछ और, हिंदी में कुछ और. 
 
साल 2013 में UPSC की परीक्षा में 1169 में हिंदी माध्यम के केवल 22 ही चयनित हुए. टॉप 100 में एक भी नहीं जबकि इससे पहले की 2012 की परीक्षा में हिंदी माध्यम के 82 युवा सफल हुए थे. हिंदी मीडियम की परीक्षा का ग्राफ गिरने के बाद  सवाल उठने लगा कि हिंदी माध्यम के युवाओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है.
 
आंदोलन ने ऐसे बदली तस्वीर
साल 2014 में हिंदी माध्यम के परीक्षार्थियों ने बड़ा आंदोलन किया. परीक्षार्थियों ने यूपीएससी पर सौतेला व्यहार का आरोप भी लगाया, जिसके बाद यूपीएससी की परीक्षा प्रणाली में बदलाव करते हिंदी भाषी युवाओं को सी-सैट की परीक्षा सिर्फ पास करना अनिवार्य कर दिया. जिसके बाद साल दर साल हिंदी माध्यम युवाओं का दबदबा दिखने लगा. 
                     

Tags

Advertisement