पेरिस जलवायु समझौता: PM मोदी के अमेरिकी दौरे से पहले गहराया ये बड़ा संकट

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अमेरिका दौरा तय होने से पहले ही इस पर संकट गहरा गया है. दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पेरिस जलवायु समझौते से खुद को अलग करने की घोषणा की है. इसे सीधे तौर पर भारत के विरोध में लिया गया फैसला माना जा रहा है.
ट्रंप के बयान के मद्देनजर मोदी की यात्रा रद्द होने के आसार तो नहीं जताए जा रहे हैं, लेकिन इसका असर दोनों देशों के संबंधों पर पड़ सकता है. मोदी खुद अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों के सामने एच1बी वीजा का मुद्दा उठा चुके हैं. अमेरिकी सख्ती के कारण भारत के आईटी सेक्टर में छंटनी का दौर चल रहा है. अब पैरिस समझौते पर ट्रंप के बयान को गैरजरूरी समझा जा रहा है.
क्या कहा ट्रंप ने ?
ट्रम्प ने अपने बयान में कहा कि पेरिस डील में भारत और चीन जैसे देशों पर प्रदूषण को लेकर कोई खास सख्ती नहीं की गई है. भारत और चीन को कई सहूलियतें दी गईं. जबकि समझौते में अमेरिका के साथ भेदभाव किया गया. उन्होंने कहा, ‘भारत को 2020 तक कोयला उत्पादन को दोगुना करने की अनुमति दी जाएगी, यहां तक की यूरोप को भी यह अनुमति थी. उनके मुताबिक इस डील से भारत और चीन को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई है और एशिया के इन दो बड़े देशों पर कड़ाई नहीं बरती गई है.
क्या है पेरिस जलवायु समझौता ?
दुनिया भर में ग्रीन हाउस गैस की मात्रा घटाने के लिए पेरिस में एक बैठक हुई थी. दिसंबर 2015 में हुई इस बैठक में 195 देशों के बीच ग्रीन हाउस गैस घटाने को लेकर सहमति बनी थी. नवंबर 2016 में ये पेरिस जलवायु समझौते के नाम से लागू हुआ. तब अमेरिका के प्रेसिडेंट बराक ओबामा थे लेकिन ट्रंप सरकार ने इस समझौते को मानने से इंकार कर दिया है.
पेरिस जलवायु समझौते पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मत सोचिए कि मैं किसी का पक्ष लूंगा लेकिन भविष्य की पीढ़ी का पक्ष जरूर लूंगा. मैं जर्मनी में पहले ही कह चुका हूं, पेरिस ऑर नो पेरिस. मत सोचिए कि मैं किसी का पक्ष लूंगा लेकिन भविष्य की पीढ़ी का पक्ष जरूर लूंगा. उन्होंने भारत को पर्यावरण हितैषी बताते हुए कहा कि यह देश प्राचीन काल से ही इस जिम्मेदारी को निभाता आ रहा है.
वैज्ञानिकों ने ट्रंप के फैसले का जताया विरोध
वैज्ञानिकों ने ट्रंप के इस फैसले पर कहा है कि इससे क्लाइमेट चेंज को लेकर हो रही कोशिशों को बड़ा झटका लग सकता है. बता दें कि ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान के दौरान कहा था कि पेरिस जलवायु समझौते की वजह से अमेरिका की इकोनॉमी को अरबों रुपए का नुकसान हुआ है.
बता दें कि ट्रंप की इस घोषणा के बाद अमेरिका तीसरा ऐसा देश हो जाएगा जो इस समझौते का हिस्सा नहीं होगा. निकारागुआ और सीरिया भी इस समझौते का हिस्सा नहीं हैं. दुनिया भर में सबसे ज्यादा ग्रीन हाउस गैस पैदा करने वाला देश खुद अमेरिका है. इसके बाद बारी चीन की आती है. जबकि भारत का स्थान चौथे नंबर पर है.
जून में हो सकती है दोनों की मुलाकात
पीएम मोदी और ट्रम्प की पहली मुलाकात इसी महीने जून में हो सकती है. सूत्रों ने अनुसार दोनों राष्ट्रध्यक्षों के बीच मुलाकात में पाकिस्तान से जारी आतंकवाद का एजेंडा में प्रभावी रहेगा. भारत के उच्चाधिकारी इस यात्रा की तिथि को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं जबकि अमरीकी सरकार के सूत्रों ने संकेत दिया है कि मोदी 26 से 28 जून तक वॉशिंगटन में रहेंगे.
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