नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का असली असर अब दिखने लगा है. विकास दर में पिछले साल के मुकाबले करीब एक फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है और सालाना GDP 7.1 प्रतिशत पहुंच गई है. पिछले साल नवंबर में नोटबंदी हुई थी जिसका असर कई सेक्टर पर हुआ और यही वजह है कि वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही जनवरी से मार्च में GDP 6.1 फीसदी पर पहुंच गई.
नोटबंदी के चलते भारत से दुनिया की सबसे तेज रफ्तार में भागने वाली अर्थव्यवस्था का टैग भी छिन गया. जनवरी से मार्च में चीन की GDP 6.9 रही हो गई जबकि भारत की 6.1 ही रही. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीडीपी में गिरावट का ठीकरा नोटबंदी की जगह आर्थिक मंदी पर फोड़ा है. उन्होंने कहा कि दुनिया में जारी आर्थिक मंदी जिम्मेदार है.
जेटली ने कहा है कि देश की GDP पर वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों का असर पड़ा है. दुनिया में जैसे हालात हैं, उसके हिसाब से हमारी GDP वृद्धि दर बहुत अच्छी है. जेटली ने कहा कि हमें विरासत में खराब अर्थव्यस्था मिली थी. तीन साल पहले तक निवेशकों को भरोसा नहीं था लेकिन हमने भरोसा बहाल कराने में सफलता हासिल की है.
जेटली ने कहा कि राज्यों की आर्थिक व्यवस्था सुधरी है और उन्होंने 14वें वित्तीय आयोग के सुझाव को माना है. उन्होंने कहा है कि इससे राज्यों में मजबूती दी गई है. पूरी दुनिया में कारोबार में गिरावट दर्ज की गई है और इसका निर्यात पर असर पड़ा है. मोदी सरकार आने के बाद भ्रष्टाचार और अनिर्णय की स्थिती से सरकार बाहर निकली है.
जेटली ने कहा कि इस देश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर आपसी रजामंदी कायम की गई और जीएसटी को लागू करने की दिशा में हम आगे बढ़े. ये टैक्सेशन के मामले में देश का अब तक का सबसे बड़ा सुधार होगा. अर्थव्यवस्था के सामने मौजूद तमाम चुनौतियों के बावजूद रेवेन्यू 2016-17 में 18% बढ़ा है. कैश में डील करने की आदत में हमने बदलाव किया. ऑपरेशन क्लीन मनी के तहत हमने ये सारे कदम उठाए हैं.