नई दिल्ली: हम आपको देश के उन हीरो की कहानी सुनाएंगे जो सेना की वर्दी तो नहीं पहनते है. लेकिन फौजियों की तरह ही बॉर्डर पर डटे रहते हैं. ये हीरो पाकिस्तानी बम-बारूद से नहीं डरते. पाकिस्तान के फायरिंग और मोर्टार इनका घर, खेत-खलिहान सबकुछ तबाह कर देते हैं.
यहां तक की इनकी जान भी चली जाती है. लेकिन इनका सारा त्याग, सारा बलिदान उन सैनिकों के लिए है जो सरहद पर खड़े होकर 132 करोड़ लोगों की हिफाजत करते हैं.
LoC से सटे नौशेरा सेक्टर इस गांव में जितने भी घर हैं सब पाकिस्तानी गोलों और मोर्टार से छलनी हो चुके हैं. नौशेरा सेक्टर में पाकिस्तानी गोलाबारी के बाद हमारे संवाददाता ग्राउंड जीरो पर पहुंचे तो कलसियां और जांगड़ गांव में चारों तरफ तबाही के निशान दिखे.
पाकिस्तानी गोलाबारी में बॉर्डर से सटे कलसियां गांव के लोगों के आशियाने, अरमान सब तबाह हो रहे हैं. लेकिन ये शेरदिल लोग कहते हैं कि बॉर्डर पर हमारे जांबाज़ डटे हैं. हम उनके साथ खड़े हैं. बॉर्डर के इस बहादुर गांव की एक मजबूरी भी है. इस गांव में जब ताबड़तोड़ पाकिस्तानी गोले गिरते हैं तो छिपने के लिए इनके करीब कोई बंकर नहीं. मजबूरन इन्हें घर के अंदर ही रहना पड़ता है.
आपने अब तक बॉर्डर के जिन गांवों की रिपोर्ट देखी. वहां कुछ लोगों ने पाकिस्तानी बमबारी के बीच घर छोड़ा तो कुछ लोग घर में ही रहे. अब आपको LoC से सटे एक गांव की रिपोर्ट दिखाते हैं जहां अक्सर पाकिस्तान के गोले गिरते हैं लेकिन यहां के लोग गांव छोड़ने को तैयार नहीं होते.
LoC से सटे इस बहादुर गांव ढाई सौ से ज्यादा परिवार रहते हैं. ये गांव पाकिस्तान की चार पोस्ट, शेरा पोस्ट, झंडी पोस्ट ,चतर पोस्ट और खंजर पोस्ट से घिरा हुआ है. अक्सर ये गांव पाकिस्तानी गोलाबारी का निशाना बनता है. सरकार इन्हे पीछे हटने की सलाह देती है, लेकिन ये गांव छोड़ने को तैयार नहीं हैं.