नई दिल्ली: दक्षिण चीन सागर में तीसरे विश्वयुद्ध की आहट सुनाई पड़ रही है. ये आशंका इसलिए तेज हो रही है क्योंकि दुनिया के सबसे विवादित समंदर में चीन और अमेरिका अब आमने-सामने आ चुके हैं. हालिया वाकया उसी साउथ चाइना सी का है. जिस पर चीन का अवैध कब्जा सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता ही जा रहा है.
घटना इसी 24 मई की है. जब चीन ने आसमान में अमेरिकी प्लेन का रास्ता रोक दिया. अमेरिका का आरोप है कि यूएस नेवी का सर्विलांस प्लेन P-3 साउथ चाइना सी के ऊपर इंटरनेशनल एयरस्पेस में उड़ान भर रहा था. उसी दौरान वहां चीन के 2 फाइटर प्लेन आ पहुंचे और चीनी फाइटर्स ने गैरपेशवर रवैया अख्तियार करते हुए अमेरिकी प्लेन के रास्ते में रोड़ा अटकाया.
24 मई के उस वाकये को इस एनिमेशन के जरिए समझिए. साउथ चाइना सी के ऊपर आसमान में कुछ इस तरह से अमेरिकी विमान उड़ान भर रहा था. तभी चीन के दो फाइटर प्लेन आ धमके और अमेरिकी विमान का रास्ता रोक दिया.
अमेरिका के आरोपों के मुताबिक P-3 ओरियन सर्विलांस प्लेन 24 मई को इंटरनेशनल एयरस्पेस में हांगकांग के साउथ-ईस्ट में 150 मील यानी 240 किलोमीटर दूरी पर उड़ान भर रहा था. उस दौरान चीन का एक फाइटर जेट J-10 अमेरिकी प्लेन के सामने 200 यार्ड्स पर और उससे करीब 100 फीट ऊपर आ धमका.
जबकि दूसरा चीनी फाइटर यूएस प्लेन के राइट विंग से करीब 750 यार्ड्स पर पहुंच गया. दोनों चीनी फाइटर्स की हरकतों के चलते P-3 के क्रू मेंबर्स की जान पर आफत बन आई. यकीनन चीन की ये हिमाकत दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका के बर्दाश्त से बाहर की चीज है और चीन की इस हेकड़ी का करारा जवाब मिलना भी जरूरी है क्योंकि साउथ चाइना सी में अपने छोटे-छोटे पड़ोसियों पर धौंस जमा कर चीन अबतक अपना कब्जा बढ़ाता आया है.
अमेरिका साउथ चाइना सी में चीन को सीधी चुनौती देने की शुरुआत कर चुका है. इससे पहले अमेरिकी जंगी जहाज USS डेवी इस समंदर में विवादित आईलैंड्स स्प्रैटली में 12 नॉटिकल मील यानी 20 किलोमीटर करीब तक पहुंच गया था. अमेरिका का दावा है कि डोनाल्ड ट्रम्प के प्रेसिडेंट बनने के बाद अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए कूटनीतिक तौर पर काफी अहमियत रखने वाले साउथ चाइना सी में पहली बार वॉशिंगटन ने ऐसा कदम उठाया जबकि चीन ने अमेरिका के इस कदम का कड़ा विरोध किया.
अब तनातनी चरम पर है. आमने-सामने दुनिया के दो सबसे ताकतवर मुल्क हैं. चीन साउथ चाइना सी के जरिए अपनी दादागीरी दिखा रहा है तो अमेरिका के लिए भी ये लड़ाई नाक की है. ऐसे में सवाल ये कि क्या दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध की तरफ बढ़ रही है.
दक्षिणी चीन सागर में चीन हमेशा से अपनी दादागीरी करता रहा है और जिस किसी ने उसका विरोध किया. चीन ने उसे निशाने पर ले लिया. कुछ महीने पहले भी चीन के लड़ाकू विमानों ने साउथ चाइना सी के ऊपर उड़ान भर रहे अमेरिका के एक जासूसी विमान को खतरनाक तरीके से घेर लिया था. हालांकि तब किसी तरह वो मामला सुलझा लिया गया था पर इस बार अमेरिका किसी भी कीमत पर चीन को बख्शने के मूड में नहीं है.
चीन ने सालों से इस पूरे समुद्री इलाके पर कब्जा जमा रखा है. उसका दावा है कि दक्षिण चीन सागर के 90 फीसदी इलाके पर सिर्फ उसका हक है. बात सिर्फ इतनी ही नहीं चीन ने इस इलाके में किसी भी दूसरे देश की दखल रोकने के लिए यहां कृत्रिम द्वीप बनाकर उसपर अपना सैनिक बेस खड़ा कर लिया है. जहां से उसके सैनिक विमान जब चाहे उड़ान भर सकते हैं और पूरे इलाके पर नजर रख सकते हैं.
अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल ने दक्षिण चीन सागर पर चीन के कब्जे को अवैध ठहरा दिया है. इंटरनेशनल कोर्ट में फिलीपींस ने चीन के अधिकार को चुनौती दी थी. जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप बनाकर चीन ने समुद्री पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया है. कोर्ट का ये भी कहना है ऐसा कोई सबूत नहीं कि इस समुद्री क्षेत्र और संसाधनों पर चीन का अधिकार है.
लेकिन चीन ने इंटरनेशनल कोर्ट के फैसले को पूरी तरह खारिज करते हुए धमकी दी है कि कोई भी सैनिक या असैनिक विमान बिना चीन की अनुमति के इस इलाके में प्रवेश नहीं कर सकता. चीन ने इस पूरे विवादित समुद्री क्षेत्र में एयर डिफेंस बनाने की भी धमकी दी है. जिसके बाद दक्षिण चीन सागर में सैन्य टकराव के हालात गंभीर होते जा रहे हैं. ट्रिब्यूनल के फैसले से उत्साहित फिलीपीन्स सरकार ने कहा है कि वो अपने इलाके की सुरक्षा के लिए सैन्य तैनाती बढ़ा सकती है.
लेकिन मामला सिर्फ चीन और फिलीपीन्स तक ही सीमित नहीं है. दक्षिणी चीन सागर पर दावा करने वालों में वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया, ताइवान और ब्रुनेई जैसे देश भी शामिल हैं. इंडोनेशिया ने दक्षिण चीन सागर के नातुना द्वीपों पर युद्धपोत, एफ-16 लड़ाकू विमान, मिसाइलें, रडार और ड्रोन तैनात करने का ऐलान किया है.
उधर ताइवान ने भी अपने समुद्री इलाके की सुरक्षा के लिए एक युद्धपोत को दक्षिण चीन सागर के लिए रवाना कर दिया है. इन सबके बीच अमेरिका ने भी चीन को चेतावनी देते हुए कहा है कि उसकी कोई भी गलत हरकत से पूरे इलाके की शांति खतरे में पड़ सकती है. लेकिन तमाम चेतावनियों के बावजूद चीन अपने रूख पर कायम है और यही वजह है कि दक्षिण चीन सागर में महायुद्ध की आशंका तेज होती जा रही है.
साउथ चाइना सी में चीन की चाल को बेकार करने के लिए उसपर नकेल कसना बेहद जरूरी है क्योंकि खुद चीन ने समंदर पर कब्जा बढ़ाने के साथ-साथ अपनी सैन्य तैयारियां और गतिविधियां ऐसे बढ़ा दी हैं.
साउथ चाइना सी पर उत्तर में हांगकांग के अलावा चीन और ताइवान जैसे देश हैं. दक्षिण में मलेशिया और ब्रुनेई हैं. पूरब में फिलिपींस के साथ दूसरे छोटे-छोटे द्वीप हैं. जबकि पश्चिम में वियतनाम और कंबोडिया जैसे मुल्क है. दक्षिण-पश्चिम में यहां मलेशिया और सिंगापुर जैसे देशों की मौजूदगी है.
साउथ चाइना सी में जिन द्वीपों पर विवाद है वो एक-दो नहीं सात हैं. पहला स्पार्टली, दूसरा- पार्सेल, तीसरा प्रज़ाट, चौथा स्केवरो, पांचवां- वूडी, छठा- मैक क्लैस फील्ड बैंक और सातवां मिसचीफ रीफ. लेकिन फिलहाल बड़ा बवाल तीन द्वीपों को लेकर है- स्पार्टली, पार्सेल और वूडी. करीब 3200 एकड़ में फैले स्पार्ट्ली द्वीप पर चीन ने कब्जा करके अपना मिलिट्री बेस खड़ा कर चुका है.
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