नई दिल्ली: तीन दिनों पहले भारत का सबसे एडवांस फाइटर जेट सुखोई MKi-30 चीन के बॉर्डर पर अचानक लापता हो गया. अमस में तेजपुर से उड़ान भरने के बाद अरुणाचल के नजदीक फाइटर पहुंचा और गायब हो गए है.
तब से लगातार इस फाइटर जेट की खोज हो रही थी. क्योंकि इस तरह से बॉर्डर पर फाइटर जेट का गायब हो जाना बड़ी बात है. वो भी सुखोई जैसी स्टील्थ तकनीक से लैश फाइटर का. जिसकी कीमत प्रति फाइटर जेट एक हजार करोड़ के करीब है.
कई तरह के सवाल उठे. क्या सुखोई के क्रैश होने में चीन की कोई भूमिका थी. या सुखोई में कुछ ऐसी खराबी हुई.जो अचानक हुई क्या हुआ था. जो भी हुआ उसका जवाब अब मिल गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रह्मपुत्र की सहायक लोहित नदी पर बने जिस पुल का उद्घाटन किया. वो देश का सबसे लंबा पुल है. करीब हजार करोड़ की लागत से बना है. और दूसरा, हिंदुस्तान के हजार करोड़ रुपये का फाइटर जेट्स कुछ सेकंड के भीतर स्वाहा हो गया .
ये दोनों तस्वीरें कहीं न कहीं चीन से जुड़ी हैं. क्योंकि जिस पुल पर खड़े होकर पीएम मोदी मुस्कुरा रहे हैं, वो असम को अरुणाचल प्रदेश से जोड़ता है. मतलब भारत की पहुंच चीनी बॉर्डर तक अब बहुत आसान हो गई है.
कहा जा रहा है कि अर्जुन जैसा टैंक भी अब बेधड़क चीन बॉर्डर पर पहुंच जाएगा. सेना का पूरा दस्ता आपात हालत में चीन को चुनौती देने बॉर्डर पर पहुंच जाएगा. डोला-सादिया पुल जहां खत्म होगा. वहां से चीन का बॉर्डर 100 किमी है. जबकि जो फाइटर जेट सुखोई-30 क्रैश हुआ, वो इलाका भी चीन बॉर्डर से 250 किलोमीटर अंदर है.
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