ऑपरेशन ब्लू स्टार में आतंकियों को धूल चटाने वाले सुपरकॉप केपीएस गिल की पूरी कहानी

पंजाब के पूर्व डीजीपी और सुपरकॉप के नाम से मशहूर केपीएस गिल का दिल्ली में शुक्रवार को निधन हो गया. पंजाब से आतंकवाद का सफाया करने के लिए मशहूर 82 साल के गिल को किडनी में खराबी की शिकायत के बाद 18 मई को दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन हृदयगति रुक जाने से उन्होंने अंतिम सांस ली.

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ऑपरेशन ब्लू स्टार में आतंकियों को धूल चटाने वाले सुपरकॉप केपीएस गिल की पूरी कहानी

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  • May 26, 2017 11:57 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: पंजाब के पूर्व डीजीपी और सुपरकॉप के नाम से मशहूर केपीएस गिल का दिल्ली में शुक्रवार को निधन हो गया. पंजाब से आतंकवाद का सफाया करने के लिए मशहूर 82 साल के गिल को किडनी में खराबी की शिकायत के बाद 18 मई को दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन हृदयगति रुक जाने से उन्होंने अंतिम सांस ली.
 
1958 में भारतीय पुलिस सेवा ज्वाइन करने वाले कंवरपाल सिंह गिल को असम और मेघायल कैडर मिला था.  28 साल पूर्वोत्तर राज्यों में सेवा देने के बाद गिल अपने होम कैडर यानी पंजाब आ गए और यहां 1988 से 1990 तक और फिर 1991 से 1995 में रिटायर होने तक राज्य के पुलिस महानिदेशक रहे.
 
रिटायरमेंट के बाद भी गिल सरकार के लिए सुरक्षा मामलों में अलग-अलग भूमिका में काम करते रहे. छत्तीसगढ़ सरकार ने उन्हें नक्सलियों से निपटने के लिए सुरक्षा सलाहकार बनाया था. उन्हें ये अफसोस रहा कि सरकार ने उन्हें कश्मीर में आतंकवादियों से निपटने के लिए क्यों नहीं भेजा.
 
बता दें कि केपीएस गिल भारतीय पुलिस सेवा से साल 1995 में सेवानिवृत्त हो चुके थे. इसके अलावा गिल इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट और इंडियन हॉकी फेडरेशन के भी अध्यक्ष रह चुके थे. गिल को प्रशासनिक सेवा में उनके बेहतरीन काम को ध्यान में रखते हुए साल 1989 में पद्म श्री से नवाजा जा चुका था.
 
बता दें कि गिल ने पंजाब में आतंकवाद को समाप्त करने में अहम भूमिका निभाई थी. वे दो बार पंजाब के डीजीपी रहे. गिल 1995 में भारतीय पुलिस सेवा से रिटायर हुए. लेकिन जिस वजह से केपीएस गिल को पूरा देश जानता है आज हम उसकी बात करेंगे.
 
1984 -1995 के इन घटना की वजह से केपीएस गिल कहलाए सुपरकॉप
 
पुलिस प्रमुख और फिर सरकार के सुरक्षा सलाहकार रहे केपीएस गिल के नेतृत्व में 1991-1995 के बीच खालिस्तानी लड़ाकों के खिलाफ अभियान चलाया गया था. इसी मुठभेड़ के दौरान खालिस्तानी गुटों के बड़े-बड़े नेता कथित मुठभेड़ों में मारे गए और चरमपंथी लहर ठंडी पड़ गई.
 
ऑपरेशन ब्लू स्टार में केपीएस गिल का योगदान
ऑपरेशन ब्लू स्टार में खालिस्तानी आतंकियों  सफाए के कारण ही उन्हें ‘सुपरकॉप’ के नाम से जाना जाता है.
 
केपीएस गिल ने इंस्टीट्यूट ऑफ कनफ्लिक्ट मैनेजमेंट की स्थापना की थी और वह इसके पहले प्रेसिडेंट थे.
 
2002 के गुजरात हिंसा के बाद केपीएस गिल को वहां का गुजरात का सिक्योरिटी एडवाइजर नियुक्त किया गया था.
 
2006 में छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सली का खात्मा करने के लिए केपीएस गिल को छत्तीसगढ़ सिक्योरिटी एडवाइजर नियुक्त किया गया.
 

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