भूपेन हजारिका पुल की 10 पुख्ता बातें: वाजपेयी में स्टडी, मनमोहन में निर्माण, मोदी में चालू

असम और अरुणाचल का सफर 4 घंटा कम करने वाले देश के सबसे लंबे भूपेन हजारिका पुल (धौला-सदिया पुल) की स्टडी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में शुरू हुई, निर्माण मनमोहन सिंह सरकार में शुरू हुआ और काम पूरा कराकर इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को किया.

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भूपेन हजारिका पुल की 10 पुख्ता बातें: वाजपेयी में स्टडी, मनमोहन में निर्माण, मोदी में चालू

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  • May 26, 2017 10:45 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
गुवाहाटी. असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच का सफर 4 घंटा कम करने वाले देश के सबसे लंबे भूपेन हजारिका पुल (धौला-सदिया पुल) की स्टडी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 2003 में शुरू हुई थी जिसे बनाने का काम मनमोहन सिंह सरकार में 2001 में शुरू हुआ और काम पूरा कराकर इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को 2017 में किया.
 
असम और अरुणाचल को जोड़ने वाले भूपेन हजारिका पुल से जुड़ी 10 पुख्ता बातें:-
 
1. असम के तिनसुकिया से असम गण परिषद के विधायक जगदीश भुइयां और सांसद अरुण सरमा ने 2003 में एक पत्र लिखकर तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री सीपी ठाकुर से इस पुल के निर्माण की मांग की थी. वाजपेयी सरकार ने अगस्त, 2003 में स्थानीय लोगों की मांग के मद्देनजर इस पुल के निर्माण के लिए फिजिबलिटी स्टडी करने का आदेश दिया था. उनकी सरकार 2004 में चली गई.
 
 
2. मनमोहन सिंह कैबिनेट ने जनवरी, 2009 में धौला-सदिया पुल बनाने की सैद्धांतिक मंजूरी दी थी. ये पुल अरुणाचल प्रदेश सड़क-परिहवन पैकेज के तहत घोषित 4 बड़ी परियोजनाओं में एक था.
 
2. मार्च, 2010 में मनमोहन सिंह सरकार की इन्फ्रास्ट्रक्चर वाली कैबिनेट कमिटी ने ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी लोहित के ऊपर इस पुल के निर्माण को प्रशासनिक मंजूरी दी. 2011 में पुल बनाने का काम शुरू हुआ और इसे दिसंबर, 2015 में पूरा हो जाना था लेकिन बाढ़ के कारण देरी हो गई.
 
3. मंजूरी के वक्त 9.15 किलोमीटर लंबे इस पुल पर आने वाले कुल खर्च का अनुमान 876 करोड़ था जबकि पूरा होते-होते इस पर कुल 2056 करोड़ रुपए खर्च हो गए. एप्रोच रोड को मिलाकर पुल की पूरी लंबाई 28.50 किलोमीटर हो जाती है.
 
4. पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर इस पुल को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और नवयुग इंजीनियरिंग ने बनाया है. इस मॉडल में पुल बनाने के बाद कुछ समय तक नवयुग कंपनी इसे चलाएगी और अपना मुनाफा निकालने के बाद सरकार को सौंप देगी.
 
 
5. यह पुल असम के राष्ट्रीय राजमार्ग 37 को अरुणाचल प्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्ग 52 से जोड़ता है. इससे असम से अरुणाचल प्रदेश जाने में 165 किलोमीटर दूरी और 4 घंटे समय की बचत होगी जो चीन के साथ भारत के रिश्तों को देखते हुए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. सरकार का दावा है कि समय की बचत से हर रोज 10 लाख रुपए का पेट्रोल-डीजल भी बचेगा.
 
6. 182 खंभों पर टिके इस पुल के निर्माण में भूकंपरोधी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है क्योंकि पूर्वोत्तर राज्यों में भूकंप के झटके लगातार आते रहते हैं.
 
7. सरकार का अनुमान है कि इस पुल के बनने स्थानीय लोगों और सेना को सहूलियत के साथ-साथ पूर्वोत्तर में एक तरफ तो पर्यटन बढ़ेगा और दूसरी तरफ पनबिजली परियोजनाओं में निवेश आएगा जिससे देश में बिजली की उपलब्धता की हालत में सुधार होगा.
 
 
8. अरुणाचल प्रदेश का सदिया इलाका प्रसिद्ध गायक भूपेन हजारिका की जन्मस्थली है जो 1950 में आए एक बड़े भूकंप के बाद ब्रह्मपुत्र के बहाव में आए बदलाव में कट गया. 
 
9. इस पुल पर 60 टन वजन का बैटल टैंक भी आराम से गुजर सकता है जिसे सेना जब चाहे चीन से लगी सीमा पर तैनाती के लिए ले जा सकती है.
 
10. अभी तक धौला और सदिया के बीच करीब 150-200 नाव चलते थे जिन पर आम लोग और सेना के जवान इस पार से उस आर आते-जाते थे. इस पुल के चालू हो जाने के बाद ये नाव वाले बेरोजगार हो गए हैं.

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