नई दिल्ली: नोटबंदी हुई तो तमाम लोगों ने मोदी सरकार का विरोध किया था. लोगों को तकलीफें भी हुई थीं. लेकिन पीएम मोदी को यकीन था कि नोटबंदी अच्छे दिनों के लिए ज़रूरी है. मोदी को यकीन था कि नोटबंदी की असल मार पड़ेगी काले धन के कुबेरों पर या फिर देश के दुश्मनों पर.
सरकार नोटबंदी के बाद से ही इस आंकलन में जुटी थी कि आखिर नोटबंदी से कितना लाभ हुआ. इसके लिए बाकायदा सरकार ने एक उच्च स्तरीय आंतरिक आंकलन कराया था. जिसमे पता चला है कि भारत की अर्थव्यवस्था को नोटबंदी 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का मुनाफा देकर गई है.
केंद्र सरकार की रिपोर्ट कहती है कि जब अचानक नोटबंदी का फैसला लिया गया था तब भारत की अर्थव्यवस्था में 17 लाख 77 हज़ार रुपये के नोट चलन में थे. मई 2017 में बाज़ार में मौजूद रुपयों का मूल्य 19.25 लाख करोड़ रुपये है. उधर रिजर्व बैंक ने अप्रैल में कहा था कि कुल 14.2 लाख रुपये की नकदी बाज़ार में चलन में है. इसका दूसरा मतलब ये हुआ कि नोटबंदी के बाद बाज़ार में 5 लाख करोड़ रुपये की नकदी ज्यादा है.
पीएम के डिजिटल पेमेंट को बढावा देने से भी घरों में रखी नकदी भी बाज़ार में आ गई है औऱ इससे भी अर्थव्यवस्ता की हालत मज़बूत हुई है. नोटबंदी के बाद सरकार को टैक्स देने वालों की तादात में भी अच्छी खासी बढ़ोतरी आई है.
सरकार को उम्मीद है कि अगले दो साल में सरकार को लोगों से मिलने वाला टैक्स बढ़कर दो गुना हो जाएगा. जिससे देश की अर्थव्यवस्था को पंख लग जाएंगे. कुल मिलाकर अब ये साफ हो चुका है कि नोटबंदी से भारत की अर्थव्यवस्था को अच्छी खासी ताकत हासिल हुई है. लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है काले धन पर.
1000 और 500 के पुराने नोट बंद किए जाने के बाद से अब तक करीब 4663 करोड़ रुपये की नकदी पकड़ी जा चुकी है. अप्रैल 2017 तक ऑपरेशन क्लीन के तहत 60,000 लोग आयकर विभाग के रडार पर हैं. ये वो लोग हैं जिनकी बिक्री या मुनाफा नोटबंदी के बाद एकाएक कई गुना बढ़ गया था. माना जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर मामले काले धन के है.
सरकार के इन प्रयासों से 9334 करोड़ रुपये की अघोषित आय का खुलासा भी हुआ है. इसके अलावा अभी सरकार बेनामी संपत्तियों के खिलाफ भी बड़ी मुहीम छेड़ने जा रही है जिससे अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा मिलने वाला है.
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