टाली जा सकती थी ग्रेटर नोएडा के गैंगरेप की घटना, न उलझती ये दो थ्योरी

ग्रेटर नोएडा कांड के पीड़ितों ने पुलिस पर लेटलतीफी का आरोप लगाया है. 100 नंबर पर फोन किए जाने के ढाई घंटे बाद पुलिस पहुंची. इतनी देर न होती तो न केवल हत्या और गैंगरेप को टाला सकता था बल्कि इस कांड को दो थ्योरी में उलझने से भी रोका जा सकता था.

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टाली जा सकती थी ग्रेटर नोएडा के गैंगरेप की घटना, न उलझती ये दो थ्योरी

Admin

  • May 25, 2017 4:55 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नोएडा: ग्रेटर नोएडा कांड के पीड़ितों ने पुलिस पर लेटलतीफी का आरोप लगाया है. 100 नंबर पर फोन किए जाने के ढाई घंटे बाद पुलिस पहुंची. इतनी देर न होती तो न केवल हत्या और गैंगरेप को टाला सकता था बल्कि इस कांड को दो थ्योरी में उलझने से भी रोका जा सकता था.
 
100 नंबर पर सुनवाई नहीं !
सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि मौका ए वारदात से जेवर का थाना महज 3 से 4 किलोमीटर दूर है. घटना के बाद मौके पर पहुंच कर सर्वे किया और फिर लौट आई. ग्रेटर नोएडा कांड में परिजनों के इन आरोपों पर पुलिस सफाई तो दे रही है लेकिन ये भी मान रही है कि कॉल मिलने के बाद उसे यहां तक आने में एक घंटे का वक्त लग गया. 
 
अगर दिन में 8 मिनट में थाने से मौके तक पहुंचा जा सकता है तो रात को पुलिस क्या सो रही थी कि उसे एक घंटे लग गए? अगर पुलिस देर न करती तो हत्या और गैंगरेप को टाला जा सकता था. बदमाशों को गिरफ्तार किया जा सकता था और तब दो-दो थ्योरी का ये पेंच भी नहीं फंसता. लेकिन यूपी पुलिस भला कहां सुधरने वाली है?
 
 
पुलिस और पीड़ितों के बयान में अंतर क्यों?
पीड़ितों के मुताबिक कार मालिक ने जैसे ही ड्राइवर के फोन पर लुटेरों से हो रही बातचीत को सुना उसने 100 नंबर पर फोन मिला दिया. लेकिन पुलिस के मुताबिक उसे पहली कॉल रात करीब ढाई बजे मिली. वहीं पीड़ितों की मानें तो कार मालिक को रेस्पॉन्स नहीं मिला तो वो थाने जा पहुंचा.
 
जबकि पुलिस कह रही है कि दो बजकर तैंतीस मिनट पर डायल 100 के लिए मैसेज फ्लैश कर दिया गया था. पीड़ितों के मुताबिक कार मालिक के कहने पर ही पुलिस वाले थाने से निकले. जबकि पुलिस का दावा है कि दो बजकर छत्तीस मिनट पर PRV यानी पुलिस रेस्पॉन्स व्हीकल को इत्तला मिल गई. पीड़ितों के मुताबिक पुलिस पौने चार बजे पहुंची जबकि पुलिस दावा कर रही है कि वो तीन बजे से पहले ही मौके पर पहुंच गई थी और पौन चार बजे SSP मौके पर मौजूद थे.
 
 
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि लूट, हत्या और गैंगरेप के लिए कुख्यात हो चुके जेवर-बुलंदशहर हाइवे बदमाशों के बारे में सूचना मिलने के बाद भी पुलिस ढाई घंटे बाद पहुंची. इसी से साफ हो जाता है कि यूपी में सरकार बदलने के बाद भी पुलिस नहीं बदली है.
 
इस घटना का एक चश्मदीद उस खेत की रखवाली करने वाला एक आदमी भी है, जहां महिलाओं के साथ गैंगरेप हुआ. उसका भी यही कहना है कि हैवानियत का दौर काफी देर तक चलता रहा. अगर पुलिस ने कार सवारों को बंधक बनाने की सूचना को गंभीरता से लिया होता, तो इस जघन्य वारदात को रोका जा सकता था.
 
पुलिस का ये रवैया इसलिए भी हैरान करने वाला है, क्योंकि जेवर और यमुना एक्सप्रेस-वे का इलाका आधी रात के बाद लूटपाट, गैंगरेप और हत्याओं के लिए कुख्यात है. पिछले साल नाबालिग से गैंगरेप पर बवाल मचने के बाद पुलिस ने दावा किया था कि वो जेवर-बुलंदशहर हाइवे और यमुना एक्सप्रेस-वे पर पैट्रोलिंग बढ़ा रही है.

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