श्रीनगर: मेजर नितिन लीतुल गोगोई को सेना से सम्मान मिलने के विरोध में श्रीनगर की सड़कों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस की महिला कार्यकर्ताओं ने बुधवार को जमकर प्रदर्शन किया. बता दें कि पत्थरबाजों से निपटने के लिए मेजर गोगोई ने एक पत्थरबाज को ही ढाल के तौर पर इस्तेमाल किया था. मेजर गोगोई ने एक शख्स को जीप के बोनट से बांधकर चुनावी ड्यूटी से लौट रहे सुरक्षाबल के जवानों को सुरक्षित निकाला था.
गोगोई की इस सूजबूझ के लिए सेना ने उन्हें सम्मानित किया है. मेजर गोगोई ने इंडिया न्यूज़ से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा था कि अगर वो ऐसा नहीं करते तो कम से 12 लोग मारे जाते क्योंकि 9 अप्रैल को बडगाम में करीब 1200 लोगों की भीड़ ने सुरक्षाबलों की टुकड़ी को घेर लिया था.
उन्होंने बताया कि आईटीबीपी के जवानों ने उन्हें सूचना दी थी कि पोलिंग बूथ पर हालात इतने खराब हैं कि उन्हें नहीं लगता कि वो जिंदा निकल पाएंगे. भीड़ पोलिंग बूथ पर पेट्रोल बम फेंक रही थी. गोगोई ने बताया कि उन्होंने भीड़ को उकसाते एक शख्स को देखा. ऐसे में किसी को हताहत किए बिना मतदान कर्मियों और सुरक्षा बलों को बचाने के लिए उस शख्स को जीप से बांधने का विचार उनके दिमाग में अचानक आया.
बता दें कि मेजर लितुल गोगोई को सेना प्रमुख बिपिन रावत ने चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (COAS) कॉमन्डेशन से सम्मानित किया गया था. कश्मीर के पत्थरबाजों को सबक सिखाने के नाम पर ऐसा किया गया था. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था. हालांकि, उस शख्स ने दावा किया था कि वह पत्थरबाजी में शामिल नहीं था, बल्कि वोट डालकर घर वापस लौट रहा था. फारूक दार मध्य कश्मीर के बडगाम जिले के खाग तहसील के सीताहरण गांव का निवासी है.