शाहजहांपुर: यूपी में अवैध बूचड़खानों के खिलाफ कार्रवाई के बावजूद गो-तस्करी थमने का नाम नहीं ले रही है. पुलिस और गो-रक्षकों की निगरानी के बाद गो-तस्करों ने गायों को ले जाने का एक नया तरीका निकाल लिया है.
गो-तस्करी का सबसे हैरान करने वाला तरीका
यूपी के शाहजहांपुर से इन गायों की तस्करी के लिए जो तरीका इस्तेमाल किया गया है. वो बेहद डराने वाला है. दूध का टैंकर है जिनमें आम तौर पर इन गायों और भैंसों का दूध ले जाया जाता है. किसी को यकीन न हो इसके लिए इसका इस्तेमाल गायों की तस्करी के लिए किया गया. तस्करी के लिए दर्जन भर गायों को टैंकर में ठूंस दिया गया. घुटन की वजह से ये गायें पूरी तरह बेसुध पड़ी थीं. तस्करों ने गायों के मुंह और पैर पर रस्सी से बांध दी, जिससे ये रास्ते में कोई हलचल न कर सके. आवाज न निकाल सकें.
दूध टैंकर में गो-तस्करी
तस्करों ने इन गायों को टैंकर के अंदर पहुंचाने के लिए टैंकर के पिछले हिस्से को ढक्कन की तरह इस्तेमाल किया था. गायों को बंद करने के बाद इसे वेल्डिंग के जरिए पूरी तरह सील तक कर दिया गया. गो तस्कर अपने मकसद में कामयाब हो पाते उससे पहले ही शाहजहांपुर के अल्लाहपुर इलाके में पुलिस ने इस टैंकर को पकड़ लिया लेकिन पुलिस के मौके पर पहुंचते ही गो-तस्कर फरार हो गए.
यहां तक पहुंचती हैं गाय
यूपी में अवैध बूचड़खानों के बंद होने से गो तस्करी के मामलों में कमी तो आई है, लेकिन वो पूरी तरह से बंद नहीं हुई है. दरअसल गो-तस्करी का नेटवर्क यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम से लेकर बांग्लादेश तक फैला है. असम गाय तस्करी का हॉट स्पॉट माना जाता है.
असम की 263 किलोमीटर लंबी सीमा बांग्लादेश से लगती है. इसी सीमा पर कई जगह गायों को बांग्लादेश पहुंचाने का रूट बना हुआ है. यहां पर पैसे लेकर एजेंट नाव के जरिए गायों को बॉर्डर पार कराते हैं. बॉर्डर पार होते ही बांग्लादेश में भारतीय गायों की कीमत दोगुनी से चौगुनी हो जाती है.
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि गो तस्करों ने अब गायों की तस्करी के लिए नए-नए तरीके ढूंढने शुरू कर दिए हैं. शाहजहांपुर में ही इससे पहले एंबुलेंस और पुलिस वैन में गो-तस्करी के मामले पकड़े जा चुके हैं. हरियाणा के धारूहेड़ा इलाके में ऑयल टैंकर भी गो-तस्करी का एक मामला सामने आया था.
अब पुलिस के सामने सवाल और संकट दोनों है. संकट ये है कि वो गो तस्करी के शक में तेल-दूध के टैंकरों की तलाशी कहां तक ले सकती है और सवाल ये है कि जब मुखबिर की सूचना पर गो-तस्करी में इस्तेमाल टैंकर पकड़ा जा सकता है, तो फिर गो-तस्कर फरार होने में कैसे कामयाब हो जाते हैं ?