नई दिल्ली: पूरा पाकिस्तान इन दिनों खावर कुरैशी के नाम पर भड़का हुआ है. पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश वकील खावर कुरैशी ने ही जाधव केस में इंटरनेशनल कोर्ट में पाकिस्तान की पैरवी की थी. अब वही खावर कुरैशी भारत में कांग्रेस के गले ही हड्डी बन गए हैं.
यूपीए वन के दौरान मनमोहन सिंह सरकार ने खावर कुरैशी को अपना वकील बनाया था. अब 13 साल बाद बीजेपी इसी बात पर हमलावर है कि कांग्रेस को पाकिस्तानी मूल का वकील क्यों पसंद था ? क्यों खावर कुरैशी की खातिर यूपीए ने अपनी पूरी लीगल टीम बदल दी, आज इसी मुद्दे पर होगी बड़ी बहस
इंटरनेशनल कोर्ट में कुलभूषण जाधव का केस और इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में दाभोल पावर कंपनी का आपस में कोई कनेक्शन हो सकता है क्या ? कोई सोच भी नहीं सकता, लेकिन अब दोनों की कड़ियां एक ऐसे वकील ने जोड़ दी हैं, जिसके नाम पर भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में राजनीति गरमाई हुई है.
दरअसल खावर कुरैशी वही वकील हैं, जिन्होंने दाभोल पावर कंपनी के विवाद में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में भारत की पैरवी की थी. दाभोल की मूल कंपनी एनरॉन और सहयोगी कंपनियों जनरल इलेक्ट्रिकल्स और बेचटेल ने भारत से हर्जाना मांगा था, क्योंकि महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड ने दाभोल पावर कंपनी से करार तोड़ दिया था.
पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश वकील खावर कुरैशी को यूपीए सरकार ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में अपना वकील बनाया था और इत्तेफाक से उस केस में खावर कुरैशी की दलीलों से भारत को हार मिली थी. इस खुलासे के बाद अब बीजेपी पूछ रही है कि कांग्रेस की सरकार को पाकिस्तानी मूल का वकील ही क्यों पसंद आया ?
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