India News से बातचीत में बोले नकवी-राम मंदिर की तुलना तीन तलाक से करना एक कुतर्क

एनडीए सरकार आते ही विपक्षी दलों ने प्रचार शुरू कर दिया था कि बीजेपी अल्पसंख्यकों के लिए कुछ नहीं करेगी. लेकिन अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय पिछले तीन साल में क्या-क्या किया. कितनी नई योजनाएं लाई गईं और पीएम मोदी का नारा 'सबका साथ-सबका विकास' में कितना आगे बढ़े हैं.

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India News से बातचीत में बोले नकवी-राम मंदिर की तुलना तीन तलाक से करना एक कुतर्क

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  • May 19, 2017 4:11 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: एनडीए सरकार आते ही विपक्षी दलों ने प्रचार शुरू कर दिया था कि बीजेपी अल्पसंख्यकों के लिए कुछ नहीं करेगी. लेकिन अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय पिछले तीन साल में क्या-क्या किया. कितनी नई योजनाएं लाई गईं और पीएम मोदी का नारा ‘सबका साथ-सबका विकास’ में कितना आगे बढ़े हैं. इन्हीं मुद्दों पर बात करने के लिए तीन साल मोदी सरकार के कार्यक्रम पर बात करने के लिए मुख्तार अब्बास नकवी हैं. जो अल्पसंख्यक मंत्री हैं. नकवी से बात कीं इंडिया न्यूज के एडिटर-इन-चीफ दीपक चौरसिया ने.
 
‘बिना तुष्टीकरण के सशक्तिकरण’
सबसे महत्वपूर्ण बात है कि बिना तुष्टीकरण के सशक्तिकरण. ये कैसे किया जा सकता है इसका जीता जागता प्रमाण है मोदी सरकार के तीन साल. इन तीन साल में हर गरीब के आखों में खुशी, उसकी जिंदगी में खुशहाली आए. इस मंत्र के साथ मोदी सरकार के सभी विभाग काम कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे. बिना तुष्टीकरण की नीति से अल्पसंख्यकों में विश्वास के साथ विकास का माहौल है.
 
‘सेकुलरिज्म लोगों ने अल्पसंख्यक को मुद्दा बनया’
गरीबी, अशिक्षा की बात करें तो ये सबसे ज्यादा अल्पसंख्यकों में है, जिसको पिछली सरकार ने सबसे ज्यादा इग्नोर किया. इसी की वजह से अल्पसंख्यक खास तौर पर मुस्लिम बेरोजगार होता गया, गरीब होता गया, शिक्षा उसको ठीक से नहीं मिली. मोदी सरकार ने इन्ही बेसिक मुद्दों पर काम किया है. 3 साल में मोदी सरकार ने अल्पसंख्यकों की शिक्षा, रोजगार और सशक्तिकरण पर ध्यान दिया. सेकुलरिज्म लोगों ने केवल इन लोगों को मुद्दा बनाया, काम नहीं किया है. पिछले तीन साल में 2 करोड़ अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृति मिली है. एक करोड़ से अधिक छात्राओं को बेगम हजरत महल स्कॉलरशिप मिली है.
 
‘तीन तलाक धार्मिक मुद्दा नहीं’
भारत सुधारों का देश है और समय-समय पर हमारे देश में कई सुधार हुए हैं. इन सुधारों की आवाज समाज के अंदर से खुद निकल कर आई है. सती प्रथा, बाल विवाह की तरह तीन तलाक की कुप्रथा भी खत्म हो जाएगी. जब सती प्रथा और बाल विवाह को खत्म करने की आवाज आई थी, तब लोगों के लिए ये सेंटीमेंट्स का मुद्दा था लेकिन इसको खत्म किया गया. तीन तलाक भी कोई धार्मिक मुद्दा नहीं है, ये कुरीतियाँ और कुप्रथा का मुद्दा है. इस पर मुद्दे पर भी आज देश में बहस हो रही है. कई लोग इसके पक्ष में बोल रहे हैं, कई लोग इसके विपक्ष में बोल रहे हैं. इसी पर देश में रचनात्मक तौर बहस भी हो रही है, वहीं सुप्रीम कोर्ट भी इस पर बहस कर रहा है.
 
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