नई दिल्ली: इनकी इस हालत का जिम्मेदार कोई और नहीं, बल्कि रोमियो है. राह चलते छेड़खानी करने वाले, और फब्तियां कसने वाले मनचले है. ये लड़कियां पढना चाहती हैं. आगे बढ़ना चाहती हैं. लेकिन कैसे बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ अभियान कम से कम ये तस्वीरें देखकर दोनों ही मुश्किल हो रहे हैं.
थक-हार चुकी लड़कियां धरने पर बैठी हैं और सरकार से गुहार लगा रही हैं. इनकी मांग क्या है, दर्द क्या है. 40 डिग्री तापमान में स्कूल के गेट पर बेहोश इन लड़कियों की मांग ऐसी है जिसे दो मिनट में पूरी की जा सकती है. लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है और ये लड़कियां अड़ी हुई हैं. ये कह रही हैं कि मर जाउंगी लेकिन मौके से नहीं हटूंगी.
बेहोश हुई इन लड़कियों के घरवालों को जब ये पता चला कि बेटी बेसुध पड़ी है तो वो भागे-भागे स्कूल पहुंचे और सामने की तस्वीर देखकर सुध-बुध खो बैठे है. मौके पर आए दूसरे रिश्तेदार सरकार को कोसने लगे. जांच के लिए डॉक्टर आया, जिसने स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई.
घर ले जाने की सलाह दी लेकिन ये बेटियां है कि मैदान छोड़ने को तैयार नहीं.अब एक साथ तीन तस्वीर देखिए. पहली तस्वीर पलवल की है. दूसरी गुड़गांव की है और तीसरी रेवाड़ी की है. तीन तस्वीर दिखाने का मतलब ये है कि जो रेवाड़ी में हुआ वही पलवल-गुड़गांव में हो रहा है. लेकिन जिस तरह रेवाड़ी की बेटियां जीत गईं.
ये हरियाणा के पलवल की तस्वीर है. स्कूल के गेट पर ताला लटक रहा है. और बाहर धरने पर बैठी हैं बेटियां. इन लड़कियों का सीधा आरोप है कि स्कूल जाना मुश्किल है. घर से निकलते ही रोमियो रास्ता रोकते हैं. फब्तियां कसते हैं. छेड़खानी की कोशिश करते हैं . लिहाजा उनके गांव के ही स्कूल को 12 वीं तक कर दिया जाए. स्कूल का अपग्रेडेशन नहीं होने तक इस गर्मी में भी ये लड़कियां सत्याग्रह कर रही हैं.