नई दिल्ली: यमुना को प्रदूषित होने से बचाने और पवित्र नदी की सफाई को ध्यान में रखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कड़े आदेश जारी किए हैं. जिसके तहत यमुना में किसी भी प्रकार की गंदगी और खुले में शौच करना बैन होगा. इस आदेश को ना मानने वालों के पांच हजार रुपए का जुर्माना लगेगा.
यमुना की सफाई से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने आदेश दिया कि अगर यमुना के बाढ़ क्षेत्र में किसी भी प्रकार का अपशिष्ट बहाया गया तो यह एक अपराध माना जाएगा और यमुना के किनारे मल-मूत्र करने पर भी बैन लगा दिया गया है.
यमुना में गंदगी का मामला दिल्ली और यूपी के लिए काफी अहम हो गया है. यमुना के किनारे बसे इन शहरों की गंदगी नदी के पानी इतनी ज्यादा भर गई है कि यमुना अब पवित्र नदी नहीं बल्कि अब एक गंदा नाले जैसी हो गई है. गंदगी से प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ गया है कि इसका असर आस-पास के रहने वाले लोगों पर पड़ रहा है.
यमुना के बाढ़ क्षेत्र के पानी से बहुत से किसान सब्जियां उगाने का काम करते हैं. इन सब्जियों को उगाने में जिस पानी का इस्तेमाल हो रहा है वह सीधे यमुना के बाढ़ क्षेत्र से ही मिलता है. जाहिर सी बात है कि इस पानी में वे सभी केमिकल्स रहते हैं जो आसपास के शहरों के कारखानों से निकलते हैं. यही केमिकल्स सब्जियों में मिल जाते हैं और लोगों तक पहुंच जाते हैं. इसी वजह से लोगों को कैंसर और कई घातक बीमारी अंदर हो रही है.
बता दें कि इससे पहले भी कई बार एनजीटी ने यमुना की सफाई के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं लेकिन इसके प्रदूषण को कम करने में कोई सफलता नहीं मिली है.