सेनेगल: दुनिया भर में बाल अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ बच्चों के अकेले पलायन करने पर चिंता जाहिर की है. संस्था ने बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा है कि दो साल में पूरी दुनिया से करीब तीन लाख से ज्यादा बच्चे अकेले पलायन कर चुके हैं और यह काफी तेजी से बढ़ता ही जा रहा है.
जिसकी वजह से कम उम्र के बच्चे गुलामी और देह व्यापार में फंसने को मजबूर हैं. यूनिसेफ के मुताबिक इस तरह के शरणार्थी बच्चों की संख्या वर्ष 2010-11 की तुलना में पांच गुना तक बढ़ चुकी है. सात साल पहले यह संख्या 66,000 थी.
यूनिसेफ क कहना है कि 1.70 लाख बच्चों ने साल 2015-16 में यूरोप में शरण ली. इनमें से सैकड़ों बच्चों की पिछले साल बच्चों की डूबकर मौत हो गई थी. जानकारी के मुताबिक, ये बच्चे ज्यादातर एरिट्रिया, गाम्बिया, नाइजीरिया, मिस्र और गिनी जैसे अफ्रीकी देशों से आए हैं.
इस पूरे मामने पर यूनिसेफ के उप कार्यकारी निदेशक ने अफसोस जताते हुए कहा, ‘तस्कर अपने फायदे के लिए इन मासूम बच्चों का इस्तेमाल करते हैं, सीमा पार करने में बच्चों की मदद करते हैं और उन्हें गुलाम के रूप में बेच देते हैं या फिर उसके बाद देह व्यापार के दलदल में धकेल देते हैं. यह बिल्कुल अनुचित है कि ऐसे लोगों से हम बच्चों को नहीं बता पा रहे हैं.
यूनिसेफ ने 26 मई 2017 को इटली में आयोजित जी-7 देशों के सम्मेलन में इस समस्या के समाधान के लिए छह सूत्रीय एजेंडा रखने की बात कही है.