नई दिल्ली: 1000 करोड़ के बेनामी जमीन सौदे को लेकर अपने परिवार के ठिकानों पर आयकर विभाग की छापेमारी के बाद आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव ने बीजेपी पर जो ट्वीटर बम गिराए, उसने राजनीतिक जोड़-तोड़ के मैदान में चल रहे किसी बड़े खेल का इशारा कर दिया है.
लालू यादव ने एक के बाद एक पांच ट्वीट किए और इसकी शुरुआत इस बात से की, “BJP को नए Alliance partners मुबारक हों. लालू प्रसाद झुकने और डरने वाला नहीं है. जब तक आख़िरी सांस है, फासीवादी ताक़तों के ख़िलाफ़ लड़ता रहूंगा.”
इससे पहले कि इस नए एलायंस पार्टनर पर अनुमान लगाएं, लालू के इसके बाद के तीन और ट्वीट भी पढ़ लीजिए. “अरे पढ़े-लिखे अनपढ़ों, ये तो बताओ कौन से 22 ठिकानों पर छापेमारी हुई. BJP समर्थित मीडिया और उसके सहयोगी घटकों (सरकारी तोतों) से लालू नहीं डरता.”
इसके बाद लालू ने लिखा, “BJP में हिम्मत नहीं कि लालू की आवाज को दबा सके. लालू की आवाज दबाएंगे तो देश भर मे करोड़ों लालू खड़े हो जाएंगे. मैं गीदड़-भभकी से डरने वाला नही हूं.”
इसके बाद लालू ने एक और ट्वीट किया, “RSS-BJP की लालू के नाम से कंपकंपी छूटती है. इनको पता है कि लालू इनके झूठ, लूट और जुमलों के कारोबार को ध्वस्त कर रहा है तो दबाव बनाओ.”
कौन हो सकता है बीजेपी का ये नया एलायंस पार्टनर ?
लालू ने सीबीआई छापों की खबर के बाद सबसे पहला ट्वीट किया और ये कहा कि बीजेपी को नए एलायंस पार्टनर मुबारक हों. राजनीतिक हलकों में इस ट्वीट के बाद चर्चा शुरू हो गई कि लालू यादव ने लगता है नीतीश कुमार की अगुवाई वाले जेडीयू की तरफ इशारा किया है, जिसके साथ मिलकर लालू का राष्ट्रीय जनता दल बिहार में महागठबंधन सरकार चला रहा है. इस गठजोड़ में कांग्रेस भी है.
नीतीश कुमार ने ठीक एक दिन पहले ही पटना में कहा था, “मैं 2019 के लिए प्रधानमंत्री पद का दावेदार नहीं हूं. मेरी पार्टी छोटी है, जिसमें क्षमता होगी वह प्रधानमंत्री होगा. पांच साल पहले किसी ने सोचा था कि मोदी प्रधानमंत्री होंगे? लेकिन जनता को उनमें क्षमता दिखी और आज वह प्रधानमंत्री हैं. जिसमें क्षमता होगी वह 2019 में आगे आएगा.”
नीतीश ने इस बयान से एक साथ दो काम निपटा लिए. एक तो खुद को पीएम की रेस से फिलहाल के लिए बाहर कर लिया और दूसरी तरफ मोदी की क्षमता पर जनता के भरोसे को कबूल कर लिया. लालू को अपने गठबंधन पार्टनर से ऐसे बयान की उम्मीद नहीं रही होगी.
इसलिए नीतीश के हाल के बयानों और बीजेपी के साथ वापस हाथ मिलाने की चर्चा के बीच जब सीबीआई छापे के बाद लालू ने पहले ट्वीट में ही बीजेपी को नए एलायंस पार्टनर की बधाई दी तो सबका दिमाग सिर्फ नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड की तरफ गया.
लालू ने सफाई दी पर सवाल का जवाब नहीं कि नया एलायंस पार्टनर कौन है ?
हालांकि लालू को बाद में अहसास हुआ कि इस ट्वीट से गलत संदेश चला गया है तो उन्होंने सफाई देते हुए लिखा, “ज़्यादा लार मत टपकाओ. गठबंधन अटूट है. अभी तो समान विचारधारा के और दलो को साथ जोड़ना है. मै BJP के सरकारी तंत्र और सरकारी सहयोगियो से नही डरता.”
लेकिन राजनीति के माहिर और शातिर खिलाड़ी रहे लालू जानते ही होंगे कि एलायंस पार्टनर का मतलब राजनीति में क्या होता है और जब उसका इस्तेमाल बीजेपी के नए एलायंस पार्टनर की तरह किया गया हो तो उसका क्या मतलब हो सकता है.
सफाई वाले ट्वीट में लालू ने नीतीश के साथ अपने गठबंधन को अटूट बताया लेकिन सवाल तो वहीं खड़ा है कि बीजेपी का नया एलायंस पार्टनर कौन है. अगर वो जेडीयू नहीं है तो लालू को खुलकर उसका नाम लेने में कोई परहेज नहीं होना चाहिए था.
और अगर वो जेडीयू ही है तो लालू यादव भले अपने स्टाइल में बिना नाम लिए तंज कसकर आगे बढ़ते दिख रहे हों लेकिन पत्रकारों और नेताओं के लिए अगला सवाल छोड़ गए हैं- बीजेपी ने नीतीश की घर वापसी के लिए कब का मुहुर्त निकाला है ?