घुसपैठ के लिए ISI का ‘पागल प्लान’, छोटे बच्चों को बनाया आतंकियों का गाइड

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI ने घुसपैठ के लिए नया प्लान बनाया है. इसके तहत वो छोटे-छोटे बच्चों को स्पेशल ट्रेनिंग दे रहा है. इन बच्चों के जरिए वो भारत में रेकी की तैयारी कर रहा है. दरअसल खुफिया एजेंसियों ने इस साल करीब 25 छोटे लड़कों को पकड़ा है, जो सीमा पार करके पाकिस्तान से हिंदुस्तान चले आए.

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घुसपैठ के लिए ISI का ‘पागल प्लान’, छोटे बच्चों को बनाया आतंकियों का गाइड

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  • May 15, 2017 5:50 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI ने घुसपैठ के लिए नया प्लान बनाया है. इसके तहत वो छोटे-छोटे बच्चों को स्पेशल ट्रेनिंग दे रहा है. इन बच्चों के जरिए वो भारत में रेकी की तैयारी कर रहा है. दरअसल खुफिया एजेंसियों ने इस साल करीब 25 छोटे लड़कों को पकड़ा है, जो सीमा पार करके पाकिस्तान से हिंदुस्तान चले आए.
 
 
बॉर्डर पर ISI की नई साजिश
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI का ‘पागल प्लान’ सुनने में जितना अजीब लग रहा है. उससे कहीं ज्यादा  खतरनाक है. पागल प्लान के तहत ISI नाबालिग घुसपैठियों की ऐसी फौज तैयार कर रहा है जो भारत में ISI के लिए रेकी करेगी और किसी को शक भी नहीं होगा.
 
नाबालिग फौज में 10-15 साल के बच्चों को शामिल किया जा रहा है. इन्हें हथियार नहीं, बल्कि दिमागी ट्रेनिंग दी जा रही है. इन्हें मानसिक रूप से बीमार दिखने और पागलों जैसी हरकत करने की ट्रेनिंग दी जा रही है. पकड़े जाने पर ये गूंगे और बेवकूफों जैसी हरकत भी कर सकते हैं.
 
इनमें से कई बच्चों को भारत ने पाकिस्तान को वापस भी कर दिया है लेकिन पकड़े गए कुछ लड़कों से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि उन्हें ISI,पाक आर्मी और आतंकियों के हैंडलर्स ने विशेष ट्रेनिंग दी है. जम्मू कश्मीर ,पंजाब, और गुजरात बॉर्डर में घुसपैठ कराने के लिए बाकायदा मैप और जगहों की जानकारी दी गई है. 
 
यही नहीं, जिस एरिया में घुसपैठ करके जाना है इन लड़कों को उस इलाके की भाषा भी सिखाई गई. जिससे अंदर घुसने के बाद कोई इन्हें पहचान न सके. यानी भारतीय सीमा में रहकर ये लड़के आतंकियों की घुसपैठ के लिए गाइड की भूमिका निभा रहे हैं.
 
 
भारत से ये जानकारियां लेते हैं
ISI से ट्रेनिंग पाए ये लड़के हिंदुस्तान में आने के बाद भारतीय सुरक्षा बलों की मूवमेंट, बीओपी की लोकेशन, किस लोकेशन से सीमा की रखवाली करने वाले क्रॉस करते हैं, बीट पर आने-जाने की टाइमिंग. ऐसी तमाम ख़ुफ़िया जानकारी वापस जाकर पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के हैंडलर्स और ISI को देते हैं.
 
 
खुफिया एजेंसियों को भनक क्यों नहीं लगी ? 
हैरानी की बात ये है कि खुफिया एजेंसियों के पास इस बात की कोई पुख्ता जानकारी नहीं है कि अब तक ऐसे कितने लड़के भारत आकर पाकिस्तान वापस चले गए. हालांकि इस खुफिया इनपुट के बाद सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं. सरहद के आसपास ऐसे बच्चों की पहचान की जा रही है.
 
 
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि भारतीय फौज और बीएसएफ सीमा पर जो इंसानियत दिखाते हैं, उसी को अब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहती है. पाकिस्तान को लगता है कि अगर नाबालिग बच्चों को मोहरा बनाकर भेजा गया और उन्हें भारतीय सेना ने पकड़ भी लिया, तो हिंदुस्तान के कानून के मुताबिक उन लड़कों को ज्यादा कड़ी सज़ा नहीं दी जा सकती.
 
हालांकि जंग या प्रॉक्सी वॉर में भी बच्चों का इस्तेमाल करना युद्ध अपराध माना जाता है, लेकिन नियम और नैतिकता से पाकिस्तान का कोई लेना-देना नहीं है. ऐसे में ये भारतीय सुरक्षा बलों के लिए चुनौती है कि वो आईएसआई के नाबालिग जासूसों के खतरे से कैसे निपटें.

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