नई दिल्ली. पुलिस मित्र का नाम आपने सुना होगा. ये एक ऐसा कॉंन्सेप्ट है, जिसमें पुलिसकर्मी जनता के साथ मित्र जैसा व्यवहार करें. मतलब जब कभी भी पुलिसकर्मियों की जरूरत आम नागरिक को हो, पुलिस उनकी मदद करे.
उनकी तकलीफ को समझे मगर क्या पुलिसकर्मी आम जनता के साथ मित्र जैसा व्यवहार कर रहें हैं? जवाब है, नहीं! ये जवाब विजिलेंस ब्रांच की एक जांच में पता चला है. इस जांच में पुलिसकर्मियों के चेहरे बेनकाब हुए हैं. ईमानदारी की जांच में राजधानी की पुलिस फेल हो गई है.
वीडियो में इसी मुद्दे पर देखिए अभियान…
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