श्रीनगर: कश्मीर के नौजवान लेफ्टिनेंट उमर फैयाज को आतंकियों ने घर से अगवा कर मार डाला. पहली बार कश्मीरी हिन्दुस्तानी को कश्मीरियों ने मारा. उमर फैयाज के दोस्तों ने फैयाज की पूरी कहानी तस्वीरों के जरिए बताई है. सोशल साइट्स पर ये वीडियो काफी वायरल हो रहा है.
क्या है वीडियो में ?
मैं उमर फैयाज़… कुलगाम के सुड़सोना गांव का रहने वाला हूं. मेरे वालिद किसान, मैं उनका इकलौता बेटा. मेरा शौक हॉकी खेलना है. अभी आठ जून को मैं 23 पार करने वाला हूं. ये मेरी मां जमीला है पर ये रो क्यों रही है ? क्योंकि मैं अब जिंदा नहीं हूं. मेरा कुसूर क्या था ? बस इतना भर कि मैं कश्मीरी होकर भी हिंदुस्तानी था.
मेरी ममेरी बहन की शादी होने वाली थी. उसने कहा शादी मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा दिन है. तुम्हें आना ही होगा इसलिए मैंने इंडियन आर्मी में भर्ती के बाद पहली बार छुट्टी ली थी. राजपूताना राइफल्स में बतौर लेफ्टिनेंट. 10 दिसंबर 2016 को ही मेरी कमीशनिंग हुई थी लेकिन कश्मीर के दुश्मनों को मेरे आने की खबर लग गई.
कुछ हथियारबंद नकाबपोश मेरी बहन के सामने ही मुझे ले गए और अगले रोज गोलियों से छलनी मेरा शरीर शोपियां के हरमन चौक पर मिला. मेरे कातिल कौन थे ? मेरे खून के दाग किसके दामन पर लगे ? वो कौन थे, जो कश्मीरी और कश्मीरियत के दुश्मन थे ? मेरी शहादत के जिम्मेदार मेरे अपने कश्मीरी थे.
पाकिस्तानी भाड़े पर काम करने वाले कुछ कश्मीरी जिनकी हिफाजत की मैंने कसमें खाईं थीं. वो ही मेरे खूनी निकले. ये महज़ मेरे दुश्मन नहीं. ये पूरी घाटी के दुश्मन हैं. ये वो हैं, जो कश्मीरियत को आगे बढ़ते नहीं देखना चाहते. फौज मेरे जैसे नौजवानों के ख्वाबों की ताबीर कर रही है और ये जेहादी कश्मीरियत के बिलमुकाबिल. मैं मश्कूक नहीं, मेरे कातिलों को मुंसिफ इंसाफ देगा.
घाटी के बाशिंदे डरेंगे नहीं क्योंकि वो जानते हैं कि डर के आगे जीत है. कश्मीरियत की जीत. यहां एक उमर फैयाज नहीं. घाटी फैयाजों की टोली है. अमनों-चमन के लिए मैंने तो अपनी कुर्बानी दे दी. अब तय कश्मीरियों को करना है कि घाटी में किलकारियां गूंजे या बंदूकें. हाथों में पत्थर हों या गुलाबी सेब डोलियां उठें या जनाजें निकलें.
घाटी जन्नत बने या जहन्नुम…तय करना होगा… यहां कायर रहेंगे या दिलेर… बुरहान वानी रहेगा या उमर फैयाज हिंदुस्तानी… मैं उमर फैयाज हिंदुस्तानी.
बता दें कि लेफ्टिनेंट फयाज पहली बार छुट्टी पर अपने चाचा की बेटी की शादी में शरीक हुए थे जहां से आतंकियों ने उनका अपहरण कर लिया और फिर बुधवार सुबह उनकी लाश बरामद की गई. लेफ्टिनेंट फैयाज को इतनी बेरहमी से क्यों मारा गया इसका पता नहीं चल पाया है. शहीद डाक्टर का पूरा नाम उमर फैयाज पर्रे है और वह जिला कुलगाम के सुदसुना गांव का रहने वाला थे. वह जम्मू संभाग में अखनूर स्थित सेना की राजपूताना राइफल्स में नियुक्त थे.