नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में क्या केजरीवाल सरकार और विरोधियों के बीच भ्रष्टाचार के नाम पर शह और मात का खेल चल रहा है ? ईवीएम की गड़बड़ी पर हंगामा करने वाली आम आदमी पार्टी के नेता आज चुनाव आयोग की बैठक में मोबाइल में खोए रहे और केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले अब दस्तावेज़ जारी करके भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रहे हैं.
पिछले दो हफ्तों से आम आदमी पार्टी आरोपों के ऐसे दलदल में फंसी हुई है, जिसमें से निकलने का कोई रास्ता भी नज़र नहीं आता. दिल्ली में प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने के बाद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के आरोप में अपने ही मंत्री को बर्खास्त करके उम्मीद जगाई थी कि वो ईमानदार सरकार देने के अपने वादे पर कायम हैं, लेकिन अब खुद केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं और वो चुप हैं.
केजरीवाल के खिलाफ इस वक्त जिस घोटाले ने सबको हैरान किया है, वो पीडब्ल्यूडी से जुड़ा है. एक एनजीओ ने तीन महीने पहले आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार ने केजरीवाल के साढ़ू सुरेंद्र बंसल की फर्म को नाले बनाने का ठेका दिया था. रेणू कंस्ट्रक्शन नाम की उस फर्म ने बाद में जिन बिलों के जरिए करोड़ों का भुगतान कराया, वो बिल फर्जी थे. जिन कंपनियों के बिल लगाए गए, उनका कहीं अता-पता ही नहीं है. इस मामले में एंटी करप्शन ब्रांच ने एफआईआर भी दर्ज़ कर ली है.
फर्जी बिलों का आरोप सिर्फ केजरीवाल सरकार पर नहीं है, बल्कि खुद केजरीवाल के करीबी रिश्तेदार का नाम लपेटे में आ चुका है, इसलिए केजरीवाल की चुप्पी सबको खटक रही है. केजरीवाल के करीबी से बागी बने कपिल मिश्रा के दो करोड़ वाले आरोप पर भी केजरीवाल चुप हैं और कपिल मिश्रा कभी आंखों में आंसू तो कभी जुबान से अंगारे बरसा कर दावा कर रहे हैं कि वो केजरीवाल की सारी पोल-पट्टी खोल देंगे. केजरीवाल के लिए राजनीतिक विरोधियों और जांच एजेंसियों से ज्यादा परेशान करने वाली बात ये है कि अब जनता भी उनकी सरकार पर शक करने लगी है.
दूसरों पर आरोप लगाने की आदी हो चुकी आम आदमी पार्टी के पास खुद पर लगे आरोपों का क्या जवाब है ? क्या केजरीवाल की चुप्पी से आरोप खत्म हो जाएंगे, आज इन्हीं सवालों पर होगी बड़ी बहस.
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