नई दिल्ली : तीन तलाक और निकाह हलाला पर सुप्रीम कोर्ट में बड़ी सुनवाई चल रही है. कोर्ट में आज तीन तलाक मामले में सुनवाई का दूसरा दिन है. चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अगुवाई में अलग-अलग धर्मों के 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने कल यानी गुरुवार से सुनवाई शुरू की थी.
इस मामले में दूसरे दिन यानी आज सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि जो चीज पाप है वो कानूनी वैध कैसे हो सकता है. कोर्ट ने कहा कि दूसरे मुल्कों में तीन तलाक को खत्म कर दिया गया है तो ये केवल भारत में ही क्यों है?
इस मुद्दे पर दूसरे दिन सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया और पूछा अगर तलाक को लेकर पुरुषों को 3 महीने का जो समय मिलता है अगर उसमें महिला गर्भवती हो जाती है तो तीन महीने बाद तलाक हो जाता है तो बच्चे की जिम्मेदारी किसकी होगी?
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा अगर 3 महीने के भीतर पुरुष केवल दो बार तलाक कहता है और तीसरी बार नहीं कहता तो क्या तब भी वो अपनी पत्नी से निकाह कर सकता है या महिला को हलाला से गुजरना होगा.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से पहले ही कह दिया था कि हम ये तय करेंगे कि तीन तलाक और निकाह हलाला धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन तो नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए ये भी कहा कि हम ये तय करेंगे कि क्या पर्सनल लॉ को संविधान के अनुछेद 13 के तहत कानून माना जाएगा या नहीं ?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 6 दिन की सुनवाई में 3 दिन वो लोग दलील देंगे जो कि तीन तलाक और निकाह हलाला के खिलाफ हैं, बाकी तीन दिन बचाव पक्ष को सुना जाएगा.