नई दिल्ली: इन दिनों भारतीय न्यायपालिका अबतक के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. आजाद भारत के इतिहास में शायद पहली बार है जब देश की टॉप ज्यूडिशरी में ‘ऑर्डर वार’ चल रहा है. इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ जब हाई कोर्ट के जज पर अदालत की छवि खराब करने और अवमानना के आरोप में कार्रवाई की जा रही हो. इससे पहले यदि इस तरह के मामले आते भी थे तो आतंरिक जांच और कार्रवाई की प्रक्रिया अपनाई जाती थी लेकिन यहां मामला उल्टा पड़ गया है.
बहरहाल सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बैंच द्वारा जस्टिस कर्णन को 6 महीने जेल की सजा का आदेश जारी करने के बाद आज जस्टिस कर्णन के वकील ने उनकी तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मामले में राहत देने की गुहार लगाई.
जस्टिस कर्णन के करीबी माने जाने वाले पीटर रमेश कुमार ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि जस्टिस कर्णन फिलहाल कहां हैं लेकिन उन्होंने ये जरूर कहा कि जस्टिस कर्णन का अगला कदम क्या हो सकता है.
गिरफ्तारी के आदेश के खिलाफ क्या कर सकते हैं जस्टिस कर्णन?
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द न्यूज मिनट के मुताबिक जस्टिस कर्णन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को हलफनामा देकर अपनी सजा माफ करने की गुहार लगा सकते हैं.
पीटर रमेश कुमार के मुताबिक दरअसल जस्टिस कर्णन चाहते हैं कि राष्ट्रपति उनके खिलाफ शिकायतों को संसद में भेजें ताकि उनके ऊपर महाभियोग चलाया जा सके.
गौरतलब है कि संविधान की धारा 217 के मुताबिक जज दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर दोनों सदनों में वोटिंग के बाद राष्ट्रपति के आदेश से ही हटाया जा सकता है. इसके अलावा सांसद जज के खिलाफ चल रहे महाभियोग को दो तिहाई वोट देते हैं तभी उन्हें हटाने की प्रक्रिया पूरी होगी.
जस्टिस कर्णन खुद के खिलाफ क्यों चलवाना चाहते हैं महाभियोग?
पीटर कुमार के मुताबिक जस्टिस कर्णन संसद में अपनी सफाई में एक घंटे तक बोलना चाहते हैं साथ ही वो ये दलील भी संसद में रखना चाहते हैं कि आखिर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ अरेस्ट वारेंट क्यों जारी किया?
यदि जस्टिस कर्णन पर महाभियोग चलता है तो उन्हें संसद में अपनी सफाई में तर्क रखने का मौका मिलेगा और जैसा की सब जानते हैं कि संसद की कार्रवाई का सीधा प्रसारण चैनल पर किया जाता है और बातें ऑन रिकार्ड होती है. यानी पूरा देश इस लाइव प्रसारण के जरिए जज को सुनेगा. अगर ऐसा हो जाता है तो ये ऐतिहासिक घटना होगी.
एक और मांग ये भी है कि इस मामले को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में लेकर जाना चाहते हैं जहां भारत ने पाकिस्तान में कुलभूषण जाधव को मिली फांसी की सजा के खिलाफ केस दायर किया है.