संघ के रक्षा कर्मचारियों के संगठन ने निजी कंपनियों और ब्यूरोक्रेट्स पर उठाए सवाल, PM को लिखा खत

नई दिल्ली: बहुत कम लोगों को पता होगा कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संगठन से जुड़े भारतीय मजदूर संघ की एक इकाई देश में डिफेंस कर्मचारियों के बीच भी काम करती है. इस इकाई को एक नए संगठन के तौर पर ही विकसित किया गया है. 1967 से चले आ रहे इस संगठन का नाम है भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ (बीपीएमएस).
इस संगठन ने पीएम मोदी को खत लिखकर सरकार की डिफेंस सेक्टर में निजी कंपनियों को दिए जाने वाले ऑर्डर्स को लेकर कुछ तीखे सवाल उठाए हैं, इतना ही नहीं उन्होंने इस खत में रक्षा मंत्रालय से जुड़े अफसरों पर भी निशाना दागा है. इस खत में उन्होंने बाकायदा अपने इन सवालों के साथ लापरवाही का एक उदाहरण भी दिया है.
इस खत में बीपीएमएस ने एक तरफ जहां डिफेंस सेक्टर में मेक इन इंडिया कैम्पेन के तहत निजी कंपनियों को बढ़ावा देने की मोदी की नीति की तारीफ की है, वहीं एक सौदे के उदाहरण समेत ये भी समझाया है कि कैसे ब्यूरोक्रेट्स की लापरवाही के चलते जो काम सरकारी ऑर्डीनेंस कंपनियां बेहतर तरीके से कर सकती थीं, उनको निजी कंपनियों को देने से सरकार का क्या नुकसान हुआ है.
इस खत में उन्होंने बताया कि छोटी गनों के लिए जिन दो कंपनियों पुंज लॉयड और भारत फोर्स को शामिल किया गया, दोनों की ही मैन्युफैक्चरिंग यूनिट नहीं है, दोनों ने ही विदेशी तकनीशियंस की मदद ली है. फिर गन के ट्रायल में इन दोनों कंपनियों की गन दो बड़े पैरामीटर्स पर फेल हो गईं, लेकिन उन्हें बाद में री-ट्रायल का मौका देकर पास कर दिया गया.
इस खत में इस सौदे से जुड़ी तमाम बारीकी जानकारी बीपीएमएस संगठन महासचिव साधु सिंह ने पीएम मोदी के नाम लिखी है और मांग की है इस फैसले को फौरन वापस लिया जाए, सरकारी कंपनियों को इस तरह के ऑर्डर मिलने चाहिए, इसलिए इस पॉलिसी का फिर से रिव्यू भी किया जाए.
चूंकि ये आरएसएस से जुड़ा संगठन है, इसका मतलब है कि ये अंदर से उठी आवाज है. खास बात ये भी है कि इस संगठन को कानपुर के केन्द्रीय कार्यालय से जारी किया है, और कानपुर में ही 22, 23 और 24 मई को भारतीय मजदूर संघ का राष्ट्रीय अधिवेशन होने जा रहा है. पूरे 46 साल बाद यूपी में ये आयोजन हो रहा है.
एक और दिलचस्प बात ये है कि मजदूर संघ इन दिनों योजना आयोग के नए रूप यानी नीति आयोग से कई मुद्दों पर खफा चल रहा है और इस अधिवेशन में नीति आयोग के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित होना तय माना जा रहा है. यानी कानपुर बहुत जल्द मोदी सरकार के लिए परेशानी का सबब बनने जा रहा है.
भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के मोदी को लिखे खत को इस लिंक में पढ़ा जा सकता है- http://bpms.org.in/documents/bms-18tc-ljge.pdf
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