रह-रह कर सुलग रहा सहारनपुर, 20 दिनों में ये तीन बड़ी हिंसक घटनाएं

सहारनपुर: उत्तर प्रदेश का सहारनपुर रह-रह कर सुलग रहा है. पिछले 20 दिनों में यहां हिंसा और आगजनी की तीन बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं. सहारनपुर प्रशासन की नाकामी से नाराज़ सीएम योगी ने आज डीजीपी और होम सेक्रेटरी को तलब किया. सहारनपुर में मंगलवार को भड़की हिंसा में पुलिस को हवाई फायरिंग करनी पड़ी. आंसू गैस के गोले भी दागे गए लेकिन सब बेकार गए. लोगों ने ही पुलिस पर पथराव करना शुरू कर दिया. इसकी वजह से पुलिसवाले जान बचाकर यहां से भाग निकले.
क्यों हुआ महाबवाल ?
दरअसल मंगलवार को सहारनपुर में एक पक्ष ने महापंचायत बुलाई थी. लेकिन दूसरे पक्ष की तरह से आयोजित कार्यक्रम को देखते हुए प्रशासन ने महापंचायत की इजाजत नहीं दी. बावजूद इसके महापंचायत के लिए सैकड़ों लोग शहर के गांधी पार्क में इकट्ठा होने लगे. पुलिस जब मौके पर पहुंची तो भीड़ की तरफ से पुलिस पर जबरदस्त पथराव शुरू हो गया.
ये तीन बड़ी घटनाएं
20 अप्रैल 2017, 5 मई 2017, 9 मई 2017 पिछले 20 दिनों में सहारनपुर में हिंसा की ये तीसरी बड़ी घटना है. सबसे पहले 20 अप्रैल को एक शोभायात्रा को लेकर दो गुट आपस में भिड़ गए थे. इसके बाद 5 मई को बड़गांव थाना के शब्बीरपुर गांव में डीजे बजाने को लेकर दो गुटों में जमकर पत्थरबाजी हुई थी. यहां फायरिंग में एक युवक की जान चली गई थी. जबकि 9 मई को एक बार फिर हिंसा भड़क गई.
प्रशासन की लापरवाही से हिंसा !
शब्बीरपुर गांव में 5 मई को दो गुटों में झड़प हो गई थी. इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. जवाबी हमले में दलितों के 25 घरों को जला दिया गया. दलितों ने पुलिस को दोषियों पर कार्रवाई का अल्टीमेटम दे दिया. लेकिन पुलिस की कार्रवाई से पहले ही लोगों को जुटाने का काम शुरु हो गया.
ये धमकी भी दी गई कि पूरे सहारनपुर को जला दिया जाएगा. दूसरी तरफ प्रशासन इन सारी बातों से या तो बेखबर रहा या सबकुछ जानकर भी आंखें मूंदे रहा. प्रशासन की इसी कोताही की वजह से सहारनपुर में बीते 20 दिनों में तीन हिंसक घटनाएं हो चुकी हैं.
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि सहारनपुर में दो जातियों के टकराव के बाद जो कुछ हुआ, उसकी पूरी तैयारी की गई थी. पुलिस की लोकल इंटेलिजेंस यूनिट ने अपनी रिपोर्ट भी प्रशासन को सौंप दी थी, लेकिन सहारनपुर का प्रशासन सिर्फ एक हॉस्टल में होने वाली पंचायत रोकने तक ही सीमित रहा. उसने ध्यान ही नहीं दिया कि सोशल साइट्स और व्हाट्सएप्प के जरिए अराजकता फैलाने की पूरी तैयारी हो चुकी है.
प्रशासन जब तक इस मामले को समझता, तब तक उपद्रव करने वाले पुलिस पर भी भारी पड़ चुके थे. योगी सरकार अब हालात संभालने में जुटी है, लेकिन अभी तक आपस में टकराने वाली दोनों जातियों को समझाने-बुझाने की बजाय हिंसा की आग में राजनीतिक रोटियां ही सेंकी जा रही हैं.
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