कोर्ट की अवमानना मामले में SC ने जस्टिस करनन को सुनाई 6 महीने की सजा

सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाईकोर्ट के जज सीएमस करनन को न्यायालय की अवमानना मालमले में दोषी पाते हुए 6 महीने की सजा सुनाई है. सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस करनन को अवमानना मामले में दोषी पाया है. साथ ही कोर्ट ने जस्टिस करनन को तुरंत गिरफ्तार करने का भी आदेश दिया है.

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कोर्ट की अवमानना मामले में SC ने जस्टिस करनन को सुनाई 6 महीने की सजा

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  • May 9, 2017 6:12 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाईकोर्ट के जज सीएमस करनन को न्यायालय की अवमानना मालमले में दोषी पाते हुए 6 महीने की सजा सुनाई है. सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस करनन को अवमानना मामले में दोषी पाया है. साथ ही कोर्ट ने जस्टिस करनन को तुरंत गिरफ्तार करने का भी आदेश दिया है.
 
वहीं सोमवार को जस्टिस करनन ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर समेत कुल 6 अन्य जजों को एक मामले में दोषी मानते हुए पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी. करनन ने सुप्रीम कोर्ट के इन सभी न्‍यायाधीशों को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने पर यह फैसला दिया था.
 
क्या है मामला?
सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की पीठ ने जस्टिस कर्णन से उनके खिलाफ जारी अवमानना नोटिस का 8 मई तक जवाब मांगा था. कोर्ट ने कहा था कि अगर जवाब नहीं दिया गया तो यह माना जाएगा कि उनके पास इस मुद्दे पर कहने के लिए कुछ नहीं है. बता दें कि 31 मार्च को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को 4 हफ्ते में अपना जवाब दाखिल करने का ऑर्डर दिया था.
 
 
बता दें कि 23 जनवरी को कोलकाता हाईकोर्ट के जज करनन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के 20 वर्तमान जजों की लिस्ट भेजी थी और उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी, जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर करनन पर न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी कर दिया था.   
 
अवमानना का नोटिस जारी होने पर 9 फरवरी को करनन ने कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को खत लिखकर कहा था कि हाईकोर्ट के सिटिंग जस्टिस के खिलाफ कार्रवाई सुनवाई योग्य नहीं है. साथ ही उन्होंने इस बात की भी मांग रखी थी कि सुनवाई सीजेआई खेहर के रिटायरमेंट के बाद होनी चाहिए, अगर सुनवाई जल्द ही करनी है तो मामला संसद रेफर किया जाना चाहिए, साथ ही उन्हें न्यायिक और प्रशासनिक कार्य वापस भी मिलने चाहिए.

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