नई दिल्ली : शराब कारोबारी विजय माल्या को सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट की अवमानना का दोषी करार दिया है. अब सुप्रीम कोर्ट ने माल्या को 10 जुलाई को कोर्ट में पेश होने का आदेश सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने माल्या के खिलाफ बैंकों के एसोसिएशन की याचिका पर ये फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा माल्या ने जो संपत्ति का ब्यौरा दिया है वह सही नहीं है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने माल्या से पूछा था कि आपने अपनी संपत्ति के बारे में कोर्ट को जो जानकारी दी है वह सही है या नहीं. अदालत ये जानना चाह रही थी कि माल्या ने कहीं कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन तो नहीं किया है. हाई कोर्ट का आदेश था कि माल्या बिना कोर्ट की इजाजत के कोई भी ट्रांजक्शन नहीं कर सकते.
वही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह माल्या के मामले में जारी होने वाले आदेश के पालन सुनिश्चित करने के बारे में बताए क्योंकि माल्या देश छोड़ चुके हैं और यूके में रह रहे हैं. मामले की सुनवाई के दौरान एसबीआई की ओर से कोर्ट को बताया गया कि माल्या के उपर 9200 करोड़ बकाया है.
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि माल्या को देश लाने की कोशिश हो रही है. बैंक असोसिएशन का कहना है कि 40 मीलियन यूएस डॉलर जो डिएगो डील से मिले हैं उन्हें सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराए जाएं.
साथ ही कहा कि माल्या की अर्जी पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए क्योंकि माल्या बार बार कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं. माल्या ने कहा कि उनकी संपत्तियां बैंक जब्त कर चुकी है और ऐसे में 9200 करोड़ रुपये वह नहीं चुका पाएंगे. बैंक चाहे तो जो 2000 करोड़ की संपत्ति जब्त की हुई है उसे बेच सकती है.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने माल्या के सामने उनके द्वारा प्रॉपर्टी के खुलासे से संबंधित कई सवाल किए. बैंकों के समूह का कहना था कि माल्या ने 40 मिलियन यूएस डॉलर अपने बच्चों के अकाउंट में ट्रांसफर किए इस पर कोर्ट ने माल्या से पूछा कि क्या ये सही है. हालांकि बैंकों की ओर से पेश अटार्नी जनरल ने कहा कि माल्या ने पैसे ट्रांसफर किए हैं लेकिन कोर्ट को इस बात का जानकारी नहीं दी है.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में बैंकों की ओर से मांग की गई थी कि बिजनेस मैन विजय माल्या को निर्देश दिया जाए कि वह डियेगो डील से मिले 40 मिलियन यूएस डॉलर हफ्ते भर के भीतर इंडिया में लाएं. अगर पैसा इंडिया नहीं आता तो फिर उन्हें कोर्ट में पेश होने के लिए कहा जाए. बैंकों का कहना है कि उक्त रकम पर पहला अधिकार उनका बनता है.
बैंकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया है कि डिएगो डील से माल्या को40 मिलियन डॉलर मिले हैं. ये रकम माल्या ने अपने बच्चों के अकाउंट में ट्रांसफर किया है और ट्रस्ट बनाया है. एसबीआई की अगुवाई में बैंक ग्रुप ने कोर्ट को बताया कि कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया गया और माल्या ने कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर 40 मिलियन यूएस डॉलर बच्चों के अकाउंट में ट्रांसफरकिया बैंकों ने मांग की है कि ये रकम इंडिया लाया जाए और सुप्रीम कोर्ट के सामने जमा कराया जाए.
इससे पहले माल्या की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इस मामले में कोर्ट केअवमानना का केस नहीं बनता और ऐसे में अवमानन नोटिस वापस किया जाना चाहिए. माल्या कीओर से कहा गया है कि संपत्ति का ब्यौरा समझौते के लिए दिया गया था और समझौता नहीं हो रहा है ऐसे में अवमानना का केस नहीं बनता.