हाईकोर्ट की फटकार, केजरीवाल सरकार बिल्डर्स का फेवर न करे

हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अवैध तरीके से बनाए गए बिल्डिंग को बेचने की इजाजत देने वाला सरकार का सर्कुलर आम आदमी के साथ धोखा है. यह बिल्डर के फेवर में है. जस्टिस बीडी अहमद और जस्टिस संजीव सचदेव ने कहा कि यह सर्कुलर बिल्डरों के फेवर में है, क्योंकि इस तरह की बिल्डिंग को गिराने के लिए कॉरपोरेशन फ्री है. 

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हाईकोर्ट की फटकार, केजरीवाल सरकार बिल्डर्स का फेवर न करे

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  • July 16, 2015 3:32 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago

नई दिल्ली. हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अवैध तरीके से बनाए गए बिल्डिंग को बेचने की इजाजत देने वाला सरकार का सर्कुलर आम आदमी के साथ धोखा है. यह बिल्डर के फेवर में है. जस्टिस बीडी अहमद और जस्टिस संजीव सचदेव ने कहा कि यह सर्कुलर बिल्डरों के फेवर में है, क्योंकि इस तरह की बिल्डिंग को गिराने के लिए कॉरपोरेशन फ्री है. 

अदालत ने कहा कि हम लगातार कहते रहे हैं कि राजधानी दिल्ली में जो अवैध कंस्ट्रक्शन है वह भूकंप के हल्के झटके से हजारों लोगों की जान ले सकता है. अदालत ने कहा कि आप इस तरह के एक्ट को अनुमति दे रहे हैं. यह सब क्या है. आम आदमी के पास कोई ऑप्शन नहीं है और यह धोखा है. अदालत ने दिल्ली सरकार से इस मामले में रिपोर्ट मांगी गई है कि इस तरह का कदम क्यों उठाया गया.

क्या कहता है सर्कुलर
हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार ने हाल में अवैध कंस्ट्रक्शन को बेचने की अनुमति देकर बिल्डर के फेवर की बात की है. यह सर्कुलर लोगों के खिलाफ है और बिल्डर को फेवर करता है, क्योंकि इस तरह के कंस्ट्रक्शन को एमसीडी गिराने के लिए स्वतंत्र है. कोर्ट के सामने एमसीडी की ओर से पेश एडवोकेट ने दिल्ली सरकार द्वारा जारी 17 अप्रैल के सर्कुलर को पढ़ा. इससे साफ है कि अवैध कंस्ट्रक्शन को बेचने की इजाजत दी जा रही है.

कोर्ट क्यों है नाराज़
कोर्ट ने सर्कुलर को देखने के बाद कहा कि बिल्डर अपने अवैध कंस्ट्रक्शन बेच सकता है. ये कंस्ट्रक्शन एक ईंट पर किया गया है. इस कंस्ट्रक्शन को गिराने के लिए एमसीडी स्वतंत्र है. सर्कुलर में कहा गया है कि जो अवैध प्रॉपर्टी है उसमें रेवेन्यू डिपार्टमेंट रजिस्ट्रेशन के दौरान यह लिखेगा कि क्या यह प्रॉपर्टी अनसेफ है या अवैध है.
अदालत ने इस मामले में दिल्ली सरकार के वकील से कहा है कि वह स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे. अदालत में सरकारी वकील ने कहा है कि सरकार की मंशा है कि वह उक्त प्रॉपर्टी के सेल डीड से रेवेन्यू बनाए. इस तरह की प्रॉपर्टी की बिक्री में सेल डीड में यह भी दर्ज होगा कि वह प्रॉपर्टी अवैध है. हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल कर कहा गया है कि राजधानी के अवैध कंस्ट्रक्शन को हटाया जाए ताकि लोगों को प्रोटेक्ट किया जा सके. हाई कोर्ट को बताया गया था कि दिल्ली में कुल 1.5 लाख से ज्यादा अवैध कंस्ट्रक्शन हैं. एमसीडी की ओर से कहा गया था कि स्थिति बेहद गंभीर है और यह बेहद तेजी से फैल रहा है और यह अब बेहद डरावना हो चुका है.

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