नई दिल्ली: बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नक्सल समस्या पर बुलाई बैठक के औचित्य पर ही सवाल खड़े किए हैं. गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में बुलाई बैठक में नीतीश कुमार ने कहा कि एक ओर प्रशिक्षण एवं क्षमता संवर्द्वन पर ज़ोर दिया जा रहा है वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार प्रशिक्षण केंद्रों को वित्तीय सहायता बंद कर चुकी है.
ऐसे विरोधाभास से समस्या का समाधान नहीं हो सकेगा. अगर सभी कार्य राज्य को ही करने है और अपने ही संसाधन लगाने है तो इस बैठक का क्या मतलब है? आंतरिक सुरक्षा के लिए वामपंथी हिंसावादियों के खिलाफ यह लड़ाई राज्य और केंद्र सरकार की संयुक्त लड़ाई है, परंतु इन बलों की प्रतिनियुक्ति पर होने वाले खर्च को उठाने का पूरा ज़िम्मा राज्य सरकार को दिया जाता है.
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इस खर्च का वहन केंद्र और राज्य संयुक्त रूप से करे. वामपंथी उग्रवाद पर प्रभावी कार्रवाई करने का कार्य राज्यों पर डालकर केंद्र मात्र समीक्षात्मक भूमिका नहीं निभा सकता है. केवल राज्यों से बातचीत नहीं, केंद्र को भी सार्थक पहल करनी होगी. प्रत्येक राज्य में हेलीकॉप्टर की तैनाती अनिवार्य रूप से की जाए.
बिहार लंबे समय से गृह मंत्रालय से हेलिकॉप्टर तैनाती के लिए अनुरोध करता रहा है. लेकिन हमसे झारखंड में तैनात हेलिकॉप्टर से ही आवश्यकता आधारित सहयोग लेने को कहा जाता रहा है. पिछले वर्ष से विशेष संरचना योजना, एकीकृत कार्य योजना को बंद किया गया जबकि हमें आशा थी की केंद्र इन योजनाओं को सुदृढ़ करते हुए संसाधनों में बढ़ोतरी करेगी.
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