नई दिल्ली : बीएसएफ के बारे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. यूपीएससी परीक्षा से असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर सिलेक्ट 60 फीसदी अफसर बीएसएफ ज्वॉइन नहीं करना चाहते हैं. जिसके कारण पाकिस्तान से लगी सीमा की रखवाली करने वाली इस फोर्स में पहले ही करीब 10 फीसदी पद खाली पड़े हैं.
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार अधिकतर सिलेक्टेड कैंडिडेट्स का कहना है कि बीएसएफ में सेकंड क्लास ट्रीटमेंट मिलता है और कैरियर ग्रोथ कम होती है. इसलिए ये लोग बीएसएफ से नहीं जुड़ना चाहते.
खबरों के अनुसार 2015 में हुई यूपीएसी की परीक्षा में कुल 28 लोग सिलेक्ट किए गए थे. उन्हें 2017 में बीएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट की पोस्ट पर ज्वाइन करना था, लेकिन इनमें से 16 लोगों ने मना कर दिया. 2014 में 31 लोग सिलेक्ट हुए थे. लेकिन साल 2016 में इनमें से सिर्फ 17 ने ही ज्वाइन किया. वहीं, 2013 में सिलेक्ट 110 लोगों में से 69 ने ज्वाइन किया. ट्रेनिंग के दौरान 15 फिर छोड़कर चले गए.
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार बीएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के कुल 5,309 पद मंजूर हैं. इनमें से 522 अभी खाली पड़े हैं. नौकरी ज्वाइन नहीं करने वाले विवेक मिन्ज नाम के एक कैंडिडेट ने बताया कि मुझे वो नहीं मिला जो चाहिए था. मेरा पहला ऑप्शन CISF था, लेकिन वो मिला नहीं. अगर मुझे CISF मिला होता तो मैं आसानी से ज्वाइन कर लेता. मिन्ज IAS की तैयारी भी कर रहे हैं जो उनका प्रमुख उद्धेश्य है.
एक अन्य उम्मीदवार का कहना है कि बीएसएफ, सीआरएफ और आईटीबीपी में सभी उच्च पदों पर आईपीएस अधिकारियों को ही रखा जाता है. एक सामान्य बीएसएफ अधिकारी होते हुए मैं कभी भी बड़े पद पर नहीं पहुंच सकता. बहुत से अधिकारी रिटायर होने तक भी कमांडेंट पद तक नहीं पहुंच सके. दूसरा इसमें वेतन वृद्धि भी समय से नहीं होता.
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि अधिकतर लोगों ने देखा होगा कि किस तरह से बीएसएफ सैनिकों को मिलने वाले खराब खाने की शिकायत करने वाले कांस्टेबल तेज बहादुर यादव को बर्खास्त कर दिया गया.