निर्भया गैंगरेप के दरिंदों को फांसी में अभी टाइम लगेगा, ये 3 स्टेज बाकी हैं

दिल्ली. पूरे देश को दहला देने वाले निर्भया गैंगरेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की फांसी की सज़ा बरकरार रखी है लेकिन इन चारों दरिंदों को फांसी पर लटकाने में अभी वक्त लगेगा. इनके पास अभी फांसी के खिलाफ अपील के 3 स्टेज बचे हैं जिसका इस्तेमाल करने का संकेत उनके वकील ने दे दिया है.
चारों दोषियों के पास अब फांसी से बचने या उसे टालने के तीन अंतिम विकल्प हैं. पहला विकल्प ये है कि वो सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करें. सुप्रीम कोर्ट अगर पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दे और फांसी की सजा बरकरार रखे तो ये लोग फिर से सुप्रीम कोर्ट में ही क्युरेटिव पेटिशन लगा सकते हैं. क्युरेटिव पेटिशन कोर्ट के स्तर पर आखिरी विकल्प होगा जिसे लोग रिव्यू पेटिशन भी खारिज हो जाने के बाद इस्तेमाल करते हैं.
क्युरेटिव पेटिशन खारिज हो जाने की स्थिति में दोषियों के पास राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने का विकल्प होगा जो फांसी से बचने का आखिरी रास्ता होगा. अगर राष्ट्रपति ने भी दया याचिका को ठुकरा दिया तो गुनहगारों को फांसी से बचाने का कोई रास्ता नहीं बचेगा.
प्रक्रिया के स्तर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अब निचली अदालत यानी साकेत कोर्ट जाएगा जो दोषियों का डेथ वारंट निकालेगा. डेथ वारंट निकलने के बाद दोषी पुनर्विचार याचिका, क्युरेटिव याचिका और दया याचिका के विकल्प का इस्तेमाल कर सकते हैं और जब राष्ट्रपति से दया याचिका भी खारिज हो जाएगी तो डेथ वारंट पर अमल हो जाएगा यानी सारे फांसी पर लटका दिए जाएंगे.
16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में चलती बस में 6 अपराधियों ने निर्भया के साथ दरिंदगी की थी. बुरी तरह घायल निर्भया की बाद में मौत हो गई. इस मामले में एक मुजरिम नाबालिग था लिहाजा उसका ट्रायल किशोर न्यायालय में हुआ और तीन साल तक रिमांड होम में रहने के बाद उसे रिहा कर दिया गया. मुख्य आरोपी राम सिंह ने ट्रायल के दौरान ही तिहाड़ जेल में सुसाइड कर लिया था.
इस मुकदमे का ट्रायल दिल्ली की साकेत कोर्ट में हुआ, जिसने बाकी चारों आरोपियों पवन गुप्ता, विनय शर्मा, मुकेश सिंह और अक्षय ठाकुर के गुनाह को रेयरेस्ट ऑफ रेयर मानते हुए फांसी की सज़ा सुनाई थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले पर मुहर लगाई, जिसे चारों आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि जिस बर्बरतापूर्ण तरीके से घटना को अंजाम दिया गया, उसमें रहम की गुंजाइश नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे जघन्य अपराध में माफी नहीं दी जा सकती.
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