निर्भया गैंगरेप केस में फैसला आज, सुप्रीम कोर्ट पर टिकी देश भर की निगाहें

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट दिल दहला देने वाले निर्भया गैंग रेप और मर्डर मामले में चारों दोषियों की ओर से दाखिल की गई याचिका पर आज फैसला सुनाएगा. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद इसी साल 27 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

दिल्ली पुलिस की दलील :
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने दलील दी कि इन चारों दोषियों ने बर्बर कृत्य किया है और इस मामले में चारों को फांसी की सजा दी जानी चाहिए. सजा कम करने की कोई परिस्थितियां नहीं हैं. इस मामले में सजा में कोई रियायत नहीं होनी चाहिए.
कोर्ट सलाहकार और बचाव पक्ष :
वहीं दोषियों की ओर से पेश कोर्ट सलाहकार सीनियर एडवोकेट राजू रामचंद्रन ने कहा कि दोषियों को जीवन भर जेल में रखने की सजा एक ऑप्शन हो सकता है. वहीं दोषियों की ओर से पेश वकील एपी सिंह और एमएल शर्मा ने कहा कि इस मामले में दोषियों की उम्र, फैमिली बैकग्राउंड और परिस्थितियों को देखते हुए इन्हें फांसी की सजा नहीं दी जानी चाहिए.
4 अप्रैल से शुरू हुई बहस :
सुप्रीम कोर्ट में 4 अप्रैल 2016 में बहस शुरू हुई थी. सुप्रीम कोर्ट में चारों मुजरिमों ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दे रखी है. मुजरिम मुकेश और पवन की ओर से उनके वकील एमएल शर्मा ने दलील की शुरुआत की थी. इसके बाद इस मामले में बाकी आरोपियों की ओर से वकील एपी सिंह ने बहस की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 8 अप्रैल को इसी साल चारों दोषियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट राजू रामचंद्रन को इस मामले में दो दोषियों के लिए एमिकस क्यूरी (कोर्ट सलाहकार) नियुक्ति किया था. जबकि एडवोकेट संजय हेगड़े को बाकी दो दोषियों के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्ति किया गया है. निचली अदालत से चारों को फांसी की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद इन्होंने हाई कोर्ट में अपील की थी और हाई कोर्ट से भी इन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी. जिसके बाद इनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी, जिस सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.
9 महीने के भीतर फार्स्ट ट्रैक कोर्ट का हुआ था फैसला :
निचली अदालत ने 13 सितंबर, 2013 को चारों को फांसी की सजा सुनाई थी और चारों की सजा कन्फर्म करने के लिए मामले को हाई कोर्ट को रेफर किया था. साकेत स्थित फार्स्ट ट्रैक कोर्ट ने इन चारों को गैंग रेप और हत्या के लिए दोषी करार दिया था. चारों को हत्या के लिए फांसी की सजा सुनाई गई थी और कोर्ट ने मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर माना था. निचली अदालत ने सजा कन्फर्म करने के लिए मामले को हाई कोर्ट भेजा था. साथ ही चारों दोषियों ने निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.
हाई कोर्ट ने चारों की फांसी कन्फर्म की :
हाई कोर्ट ने 13 मार्च 2014 को इस मामले में चारों दोषियों अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश की अपील भी खारिज कर दी थी. हाई कोर्ट की जस्टिस रेवा खेत्रपाल और जस्टिस प्रतिभा रानी की बेंच ने इस मामले में सुनवाई के बाद 3 जनवरी 2014 को को फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सुप्रीम कोर्ट में अपील :
हाई कोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में पहले मुकेश पवन की ओर से उनके वकील एमएल शर्मा ने 15 मार्च, 2014 को अपील दाखिल की थी. इसके बाद अन्य दोषियों की ओर से उनके वकील एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकारी पक्ष को नोटिस जारी करते हुए इन्हें फांसी पर लटकाए जाने पररोक लगा रखी है.
तीन जजों की बेंच :
सुप्रीम कोर्ट ने 28 अप्रैल 2014 को फांसी की सजा के खिलाफ अपील से संबंधित मामले की सुनवाई के लिए 3 जजों की बेंच का गठन किया था.
जूवनाइल को 3 साल जूवनाइल होम में रखने का है आदेश :
इस मामले के एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगा ली थी जबकि छठा आरोपी जूवनाइल था जिसे जूवनाइल कोर्ट ने 3 साल तक जूवनाइल होम में रखने का आदेश दे रखा था. तीन साल जूवनाइल होम में रखने के बाद उसे छोड़ दिया गया था.
गैंग रेप के बाद मर्डर :
16 दिसंबर, 2012 को चलती बस में लड़की के साथ कुल 6 लोगों ने गैंग रेप किया था और उसे बस से फेंक दिया था बाद में 29 दिसंबर को उसकी मौत हो गई थी.
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